2012-09-25 07:34:07

प्रेरक मोतीः सन्त फिनबार (550-623)


वाटिकन सिटी, 25 सितम्बर सन् 2012:

सन्त फिनबार का जन्म आयरलैण्ड के कोनोट में, लगभग सन् 550 ई. में, हुआ था। फिनबार के पिता एक शिल्पकार थे जबकि माता आयरी शाही दरबार में सेवा अर्पित किया करती थीं। बपतिस्मा के समय फिनबार को लोखन नाम दिया गया था। उनकी शिक्षा-दीक्षा आयरलैण्ड के किलकेनी में हुई थी। यहीं के मठवासियों ने लोखन को, उनके हल्के बालों के कारण, उन्हें फिनबार, अर्थात् सफेद सिर, नाम दे दिया था। उसके बाद से लोखन फिनबार के नाम से पुकारे जाने लगे थे। कुछ मठवासियों के साथ मिलकर, फिनबार ने रोम की यात्रा की थी तथा वापसी यात्रा के दौरान वेल्स में उनकी मुलाकात सन्त डेविड से हुई थी। सन्त डेविड की मदद से फिनबार तथा उनके साथी मठवासियों ने स्कॉटलैण्ड में भी सुसमाचार का प्रचार किया था।

किलकेनी में अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद फिनबार पुनः अपने घर लौट आये थे तथा लोश- आयरके झील के एक द्वीप पर एकान्त जीवन यापन करने लगे थे। आज यह द्वीप गोगेन बार्रा नाम से विख्यात हो गया है। इस द्वीप पर तथा इसके इर्द गिर्द, फिनबार ने, कई छोटे-छोटे गिरजाघरों का निर्माण करवाया था। ली नदी के तट पर उन्होंने एक मठ की भी स्थापना करवाई जो बाद में आयरलैण्ट के कॉर्क शहर में विकसित हो गया तथा जिसके प्रथम धर्माध्यक्ष फिनबार नियुक्त किये गये। दक्षिणी आयरलैण्ड में फिनबार द्वारा स्थापित मठ सर्वत्र विख्यात हो गया तथा समर्पित जीवन यापन के इच्छुक युवा सम्पूर्ण देश से यहाँ आने लगे।

धर्माध्यक्ष फिनबार ने आयरलैण्ड की तत्कालीन कलीसिया में नवस्फूर्ति का संचार किया जिसके परिणामस्वरूप बहुतों ने प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचारी सन्देश का वरण किया तथा उसके साक्षी बने। प्रार्थना समारोहों एवं चंगाई के लिये भी धर्माध्यक्ष फिनबार की ख्याति दूर दूर तक फैल गई थी। उनकी प्रार्थनाओं से कईयों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया तथा कई उनके द्वारा सम्पादित चमत्कारों के गवाह बने। 25 सितम्बर, सन् 623 ई. को दक्षिणी आयरलैण्ड स्थित कॉर्क के धर्माध्यक्ष फिनबार का निधन क्लोईन में हो गया था। कहा जाता है कि धर्माध्यक्ष फिनबार की मृत्यु के बाद, दो सप्ताहों तक, सूर्यास्त नहीं हुआ था। सन्त फिनबार का पर्व 25 सितम्बर को मनाया जाता है।



चिन्तनः समर्पण, ईश्वर का वरदान है जिसके लिये हम अनवरत प्रार्थना करते रहें।








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