2012-09-21 16:42:37

पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात कर चुके फ्रांस के धर्माध्यक्षों के लिए संत पापा का संदेश


कास्तेल गोंदोल्फो रोम 21 सितम्बर 2012 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात सम्पन्न कर चुके फ्रांस से आये पहले समूह के धर्माध्यक्षों को कास्तेल गोंदोल्फो स्थित स्थित प्रेरितिक प्रासाद के स्विस सभागार में 21 सितम्बर को सामूहिक रूप से सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि कलीसिया का आह्वान किया जाता है कि वह परिवार और विवाह की प्रकृति के बारे में कहे जानेवाले किसी भी प्रकार के संभावित गलतप्रस्तुतिकरण से इनकी रक्षा करे।
संत पापा ने अपने सम्बोधन में कलीसिया के जीवन में लोकधर्मियों की भूमिका पर विशेष ध्यान देते हुए धर्मप्रांत के प्रेरितिक कार्यों में अत्यधिक ब्यूरोक्रेशी के खतरे की ओर भी धर्माध्यक्षों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने धर्माध्यक्षों से परिवार की रक्षा करने का आग्रह किया जो मानव स्वभाव के बारे में गलत अवधारणों के कारण खतरे का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवार और जीवन की रक्षा करना नबूवती है क्योंकि ये उन मूल्यों के प्रसार में सहायता करते हैं जो ईश्वर के प्रतिरूप में सृष्ट मानव के पूर्ण विकास को अनुमति प्रदान करते हैं।
संत पापा ने साक्रमेंन्तुम कारितातिस से कथनों को उद्धृत करते हुए कहा कि विवाह पर आधारित परिवार और विवाह से समाज और कलीसिया जिन कल्याणों की उम्मीद करते हैं वह इतना महान है कि इस क्षेत्र में पूर्ण मेषपालीय समर्पण का आह्वान करती हैं। विवाह और परिवार ऐसे संस्थान हैं जिनका प्रसार करना चाहिए और इनकी प्रकृति के बारे में दिये जानेवाले हर संभावित गलत प्रस्तुतिकरण से इसकी रक्षा करनी चाहिए क्योंकि जो कुछ भी इनके लिए हानिकारक है वह वस्तुत मानव अस्त्तित्व के लिए ही हानिकारक है।

ख्रीस्तीय समुदाय के जीवन पर अपने विचार केन्द्रित करते हुए संत पापा ने कहा कि धर्मप्रांतीय मेषपालीय जरूरतों के समाधान को केवल संगठनात्मक मुददों तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रवीणता पर अत्यधिक जोर देने से यह मेषपालीय सेवाओं में एक प्रकार से व्यवस्था को उत्पन्न कर सकती है जो संरचना, संगठन और प्रोग्राम पर ध्यान केन्द्रित करती है और इस तरह से इसका उन ख्रीस्तीयों के जीवन में बहुत कम असर होगा जो नियमित अभ्यास से दूर ही रहते हैं।
संत पापा ने कहा कि सुसमाचार प्रचार के लिए हम प्रभु के साथ निजी साक्षात्कार से आरम्भ करें, ऐसा संवाद जिसकी जडें प्रार्थना में हों। उन्होंने कलीसिया में अपना दायित्व निभानेवाले लोकधर्मियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सब विश्वासियों की सामान्य पुरोहिताई तथा अभिषिक्त पुरोहितों की पुरोहिताई के मध्य जो भिन्नता है उसके प्रति सम्मान को प्रोत्साहन दें। भिन्नताएं न केवल डिग्री में लेकिन अपनी प्रकृति में हैं। इसलिए कलीसिया की धर्मशिक्षा के अनुरूप विश्वास की निधि के प्रति निष्ठा को प्रोत्साहन दें तथा सम्पूर्ण मसीही समुदाय इसकी घोषणा करे।

संत पापा ने कहा कि लोकधर्मियों और पुरोहितों के मध्य सहयोग महत्वपूर्ण है तथा यह कलीसियाई समुदाय के संदर्भ में धर्माध्यक्ष के चारों ओर हो जो इसके गारंटर हैं। अंततः संत पापा ने सन 2008 में फ्रांस में सम्पन्न अपनी प्रेरितिक यात्रा का स्मरण किया जिसका लक्ष्य फ्रांस में ईसाईयों की जड़ों पर बल देना था।








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