नई दिल्ली, 20 सितम्बर सन् 2012 (पी.टी.आई.): भारत की राजभाषा हिंदी, विश्व में सबसे
अधिक बोली जानेवाली दूसरी भाषा है।2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब आबादी में
से 41.03 फीसदी की मातृभाषा हिंदी है। भारत के हिन्दी भाषी राज्यों की आबादी 46 करोड़
से अधिक है। हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाले अन्य भारतीयों को
मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। भारत के इन 75 प्रतिशत
हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में लगभग 80 करोड़ लोग हिन्दी भाषा बोल सकते हैं या समझ
सकते हैं। भारत के अलावा, हिन्दी नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण
अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिडाड एवं टोबेगो और कनाडा आदि में भी बोली जाती है। इंग्लैंड,
अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वालों की संख्या ग़ौर करने योग्य है।
इसी के मद्देनज़र हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भारत सरकार
प्रयास कर रही है। वैसे यूनेस्को की सात भाषाओं में हिन्दी पहले से ही शामिल है। वैश्वीकरण
और भारत के आर्थिक विकास के चलते विगत कुछ वर्षों से हिन्दी के प्रति विश्व के लोगों
की रूचि बढ़ी है। अन्य देशों के साथ बढ़ता व्यापार भी इसका एक कारण है। हिन्दी
के प्रति दुनिया की बढ़ती चाहत का एक नमूना यही है कि आज विश्व के लगभग डेढ़ सौ विश्वविद्यालयों
में हिन्दी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। विभिन्न देशों के 91 विश्वविद्यालयों में हिन्दी
चेयर है। चीन के छह, जर्मनी के सात, ब्रिटेन के चार, अमेरिका के पांच, कनाडा के
तीन और रूस, इटली, हंगरी, फ्रांस तथा जापान के दो दो विश्वविद्यालयों सहित लगभग 150 विश्वविद्यालयों
के पाठ्यक्रमों में हिन्दी भाषा किसी न किसी रूप में शामिल है। विश्व में हिन्दी
के प्रसार को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस माह की 22 से 25 तारीख तक दक्षिण अफ्रिका
के योहान्नेसबर्ग में नौंवा विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया है। भारत और दक्षिण
अफ्रीका इसका संयुक्त उद्घाटन करेंगे। सूत्रः लाईव हिन्दुस्तान.कोम