फैसलाबाद, पाकिस्तान, 17 सितंबर, 2012 (एशियान्यूज़) पैगम्बर मुहम्मद पर बनी विवादित
फ़िल्म के विरोध की लहर मध्यपूर्व यूरोप अमेरिका, भारत सहित पाकिस्तान में भी पहुँच गयी
है। हज़ारों लोगों ने "इन्नोसेन्स ऑफ़ मुस्लिम" का विरोध किया और इसके विरोध में नारे
लगाये।
फ़िल्म का विरोध करने वालों के साथ पाकिस्तान के ख्रीस्तीयों ने भी अपनी
सहानुभूति दिखलायी है। उन्होंने कहा है कि इस फ़िल्म में कला कम इस्लाम का अपमान ज़्यादा
है।
फ़ैसलाबाद धर्मप्रांत के लिये अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी समिति ने 15
सितंबर शनिवार को एक सभा का आयोजन किया और उन्होंने इस फ़िल्म की कड़ी निन्दा की।
सभा
के सदस्यों माँग की कि अमेरिकी सरका इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाये और फ़िल्म के निर्माताओं
को सजा दी जाये। उन्होंने कहा कि पास्टर टेर्री जोनस. निदेशक सैम बेसिल और उन सभी को
जिन्होंने इस फ़िल्म के निर्माण में अपना योगदान दिया है उन्हें गिरफ़्तार किया जाये।
अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये बने आयोग के सदस्यों ने कहा कि पाकिस्तान अधिकारी
अमेरिकी दूतावास से यह माँग करे कि वह इसके लिये माफ़ी माँगे।
‘नैशनल कमीशन फ़ॉर
जस्टिस एंड पीस’ के पूर्व सचिव फादर बोन्नी मेन्डेस ने इस फ़िल्म की आलोचना करते हुए
कहा कि बुराई की इरादे से धार्मिक भावनाओं का अपमान करना भयानक है।
समिति के
अध्यक्ष फादर आफ़ताब जेम्स पौल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है
कि दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचायें।
इस अवसर पर बोलते हुए फादर ख़ालिद युसुफ़
ने कहा कि सबों को चाहिये कि वे दूसरे धर्मों का सम्मान करें और ‘ईशनिन्दक क्रियाकलापों’
से बचें।
विदित हो कि 11 सितंबर को फ़िल्म का विरोध करनेवालों ने लीबिया के अमेरिकी
दूतावास में हमला कर राजदूत ख्रीस्तोफर स्टेवन्स और तीन अन्य सहयोगियों की हत्या कर दी
थी।