बैरूतः अरब वसन्त का स्वागत किन्तु धार्मिक सहिष्णुता की ज़रूरत, बेनेडिक्ट 16 वें
बैरूत, 15 सितम्बर सन् 2012 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि अरब देशों
में विगत वर्ष आरम्भ वसन्त रचनात्मक और सकारात्मक है किन्तु इसमें धार्मिक सहिष्णुता
तथा मानव मर्यादा एवं मानव व्यक्ति के प्रति सम्मान शामिल होना चाहिये। लेबनान की
प्रेरितिक यात्रा हेतु, शुक्रवार को, विमान से बैरूत जाते समय सन्त पापा बेनेडिक्ट 16
वें ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। सन्त पापा ने कहा, "तानाशाही नेताओं के
विरुद्ध आरम्भ अरब वसन्त की क्रान्ति एक सकारात्मक तत्व है। इससे स्वतंत्रता, प्रजातंत्रवाद,
और अधिक सहयोग एवं नवीनीकरण हेतु लोगों की अभिलाषा को अभिव्यक्ति मिली है किन्तु इसमें
अन्यों के प्रति सहिष्णुता एवं मानव मर्यादा के सम्मान का शामिल होना अनिवार्य है।" उन्होंने
कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा धर्म का अपमान है इसलिये कलीसिया तथा अन्य धर्मों को इस
प्रलोभन से दूर रहना चाहिये। सिरिया में जारी गृहयुद्ध के विषय में सन्त पापा ने
अपील की कि सिरिया में शस्त्रों के आयात को बन्द किया जाये। उन्होंने कहा कि इससे गृहयुद्ध
की समाप्ति हो सकेगी जिसमें हज़ारों लोगों की जानें चली गई हैं। पत्रकारों से उन्होंने
कहा, "शस्त्रों के आयात को अन्ततः बन्द करना होगा। शस्त्रों के आयात के बिना युद्ध जारी
नहीं रह सकेगा। शस्त्रों का आयात गम्भीर पाप है, इसका आयात करने के बजाय शांति और रचनात्मकता
के विचारों का आयात नितान्त आवश्यक है।" सिरिया पर सन्त पापा के वकतव्य के विषय में
बाद में वाटिकन के प्रवक्ता फादर लोमबारदी ने स्पष्ट किया कि इसमें सिरियाई नेतृत्व के
लिये कोई विशिष्ट सन्देश नहीं था। उन्होंने कहा कि एक राजनैतिक नेता की हैसियत से नहीं
बल्कि एक धर्मगुरु एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शक के नाते सन्त पापा ने "सामान्य नैतिक सिद्धान्तों"
को अभिव्यक्त किया था। इस बीच, सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए बैरूत
के रफ़ीक हरीरी हवाई अड्डे पर बहुत अधिक भीड़ को जमा नहीं होने दिया गया था। सिरिया में
जारी गृहयुद्ध, लिबिया में क्रुद्ध मुसलमान भीड़ द्वारा अमरीकी राजदूत एवं तीन अन्यों
की हत्या तथा इस्लाम एवं हज़रत मुहम्मद का अपमान करती एक अमरीकी फिल्म के बाद मध्यपूर्व
के विभिन्न देशों में पश्चिमी देशों के विरुद्ध भड़की क्रोधाग्नि के बावजूद सन्त पापा
क्यों लेबनान की यात्रा कर रहे थे? इस प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने कहा कि सुरक्षा की वजह से लेबनान की यात्रा को रद्द करने का विचार उनके मन में कभी
भी नहीं उठा था। उन्होंने कहा, "किसी ने मुझे इस यात्रा को रद्द करने का परामर्श नहीं
दिया और व्यक्तिगत रूप से भी मेरे मन में ऐसा विचार कभी नहीं उठा क्योंकि इस बात से मैं
परिचित हूँ कि परिस्थितियों के जटिल बनने पर भ्रातृत्व एवं एकात्मता के संकेत देना और
भी ज़रूरी हो जाता है।"