लूईस नवम फ्राँस के राजा थे। उनका जन्म फ्राँस
में, पेरिस के निकटवर्ती पोईसी में, 25 अप्रैल, सन् 1214 ई. को हुआ था। सन् 1226 ई. से
अपनी मृत्यु तक लूईस फ्राँस के राजा थे। राजा लूईस आठवें उनके पिता थे, उनकी माता ब्लान्क
कास्तिल्ले के विजेता, आठवें आलफोन्स की सुपुत्री थीं। जब लूईस 12 वर्ष के थे तब उनके
पिता का देहान्त हो गया था जिसके बाद उनकी माता राज्य की प्रतिशासक नियुक्त कर दी गई
थीं। बाल्यकाल से माता ने लूईस में पवित्र बातों के प्रति प्रेम को प्रेरित किया था।
लूईस मानव की अच्छाई में विश्वास करते थे तथा मानते थे कि मनुष्य जो कुछ भी करने में
सक्षम है वह सब ईशकृपा का फल है इसीलिये अपनी सभी उपलब्धियों को उन्होंने ईश्वर की महिमा
के लिये अर्पित कर दिया था।
सन् 1234 ई. में लूईस नवम ने, प्रोवेन्स के काऊन्ट
रेमण्ड बेरेन्गर की सुपुत्री मार्ग्रेट से विवाह रचा लिया था तथा इसके दो वर्ष बाद ही
राज्य का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया था। सन् 1238 ई. में उन्होंने एक क्रूसयुद्ध
का नेतृत्व किया जिसमें वे मुसलमानों द्वारा गिरफ्तार कर बन्दीगृह में डाल दिये गये थे।
बाद में युद्धरत दलों के बीच एक सन्धि के तहत उन्हें रिहा कर दिया था। सन् 1267 ई. में
राजा लूईस नवम एक बार फिर क्रूसयुद्ध का नेतृत्व करते हुए पूर्व की ओर गये किन्तु इस
युद्ध के बाद वे फिर कभी अपनी मातृभूमि फ्राँस नही लौट सके। सन् 1270 ई. में ट्यूनिस
की घेराबन्दी के समय वहाँ फैली महामारी के प्रकोप में राजा लूईस नवम भी रोगग्रस्त हो
गये थे तथा अन्तिम संस्कार प्राप्त करने के बाद वहीं पर 25 अगस्त, सन् 1270 ई. को उनका
निधन हो गया। 25 अगस्त को सन्त लूईस का पर्व मनाया जाता है।
फ्राँस के राजाओं
में लूईस नवम एकमात्र राजा हैं जो सन्त घोषित किये गये हैं इसीलिये फ्राँस तथा विश्व
के कई देशों में उनके नाम के स्मारक हैं जिनपर सन्त लूईस फ्राँस के राजा लिखा होता है।
सन्त लूईस पवित्र तृत्व को समर्पित धर्मसमाज के तेरसियेरी अर्थात् धर्मसमाज की लोकधर्मी
शाखा के भी सदस्य थे। 11 जून, 1256 ई. को पवित्र तृत्व धर्मसमाजियों की आमसभा में, उत्तरी
पेरिस स्थित सेरफोईड के मठ में, सन्त लूईस को धर्मसमाज संरक्षक घोषित कर प्रतिष्ठापित
किया गया था।
चिन्तनः युद्धग्रस्त दलों के बीच शान्तिनिर्माता
का कार्य करनेवाले सन्त लूईस वर्तमान समाज को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं मैत्री हेतु
प्रेरणा प्रदान करें।