पाकिस्तान में अनेक ईसाई बच्चे हिंसा के शिकार, सरकार और संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील
लाहौर 25 अगस्त 2012 (फीदेस) पाकिस्तान के लाहौर में शांति केन्द्र के निदेशक दोमिनिकन
पुरोहित फादर जेम्स चन्नान ने कहा कि ईसाई बच्चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के समाचार बहुत
व्यथित करनेवाले हैं। अनेक ईसाई लड़कियों का अपहरण और शीलहरण तथा बलात धर्मांतरण भी किया
गया है यहाँ तक कि उनकी हत्या भी हुई है। हाल ही में सुनील मसीह या साजिया बाशीर की हत्या
हुई है तथा अब बच्चों पर भी जैसा कि रिमशा मसीह के मामले में ईश निन्दा का आरोप लगाया
गया है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों पर हमले किये जा रहे हैं तो इसका अर्थ है कि असहनीय
दुरूपयोग और अमानवीयता की हद तक पहुँच गये हैं। पाकिस्तान धर्माध्यक्षीय सम्मेलन
के संवाद करने के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष रहे निदेशक ने रिमशा मामले में कहा कि ईशनिन्दा
कानून फिर से जनता के सामने आ गया है। इस विवादास्पद कानून के तहत पाकिस्तान में बहुत
रक्त बहाया गया है तथा ईसाईयों, हिन्दुओं और मुसलमानों को भी प्रताडित करना जारी रखा
है. यह अस्पष्ट कानून है। ईसाई के रूप में हम इस कानून को वापस लेने या इसमें संशोधन
करने की बहुत लम्बे समय से माँग करते रहे हैं ताकि कानून के दुरूपयोग को रोका जा सके
और हमारे इस संघर्ष में मुसलमान नागरिकों द्वारा स्थापित अनेक मानवाधिकार संगठन भी साथ
दे रहे है। पाकिस्तान के ईसाईयों ने सरकार से जिम्मेदारी लेने तथा सब नागरिकों के
बुनियादी और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को सुनिश्चित करने की अपील की है। फादर चन्नान
ने कहा कि उनके विचार से अंतरराष्ट्रीय जागरूकता भी जरूरी है, धार्मिक स्वतंत्रता के
मामले में रिपोर्ट तैयार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भी विशेष पर्यवेक्षक
हों।