2012-08-20 16:57:47

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 20 अगस्त 2012 (सेदोक एशिया न्यूज)
श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 19 अगस्त को कास्तेल गांदोल्फो स्थित ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ में संत योहन रचित सुसमाचार के 6 वें अध्याय में येसु द्वारा पाँच रोटियों और दो मछलियों से हजारों लोगों को भोजन खिलाये जाने की घटना के बाद कफरनाहूम के सभागृह में दिये गये प्रवचन के अंतिम भाग को रेखांकित किया गया है। येसु इस चमत्कार के अर्थ को प्रकट करते हैं कि प्रतिज्ञा का समय पूरा हो चुका है। पिता ईश्वर ने मरूभूमि में इस्राएलियों को मन्ना खिलाया था अब उन्हें, अपने पुत्र को भेजा, अनन्त जीवन की सच्ची रोटी। यह रोटी है-उनका शरीर, उनका जीवन, जो हम सबके लिए बलिदान में अर्पित किया गया। इसलिए हम विश्वासपूर्वक येसु का स्वागत करें, उनका शरीर खायें तथा रक्त पीयें, स्वयं में जीवन की पूर्णता को पायें। यह स्पष्ट है कि इस विचार विमर्श का अर्थ सर्वसम्मत को आकर्षित करना नहीं है।
येसु जानते हैं और साभिप्राय घोषणा करते हैं और वस्तुतः यह बहुत महत्वपूर्ण क्षण था उनके सार्वजनिक मिशन में टर्निंग प्वाइंट था। लोग, यहाँ तक कि उनके शिष्य बहुत उत्साहित थे जब येसु ने चमत्कारों को सम्पन्न किया, रोटियाँ और मछलियों के गुणन का चमत्कार स्पष्ट प्रकटीकरण था कि वे मसीह थे, यहाँ तक कि भीड़ येसु के विजय की घोषणा करते हुए उन्हें इस्राएल का राजा बनाना चाहती थी। लेकिन यह येसु की इच्छा नहीं थी और उनका लम्बा प्रवचन भीड़ के उत्साह को कम कर अनेक असहमतियों को उत्पन्न करता है। वस्तुतः, रोटी के प्रतीक की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि वे अपना जीवन अर्पित करने के लिए भेजे गये हैं तथा जो उनका अनुसरण करना चाहता है वह प्रेम के बलिदान में गहन निजी शेयरिंग करते हुए उनके साथ संयुक्त हों।
यही कारण है कि येसु ने अंतिम ब्यालू के समय यूखरिस्त संस्कार की स्थापना की ताकि शिष्यों में उनकी उदारता बनी रहे, यह महत्वपूर्ण है कि एक शरीर के सदृश, उनके साथ संयुक्त रहे और उनके मुक्ति के रहस्य का इस दुनिया में विस्तार करे।
उनके प्रवचन को सुनते हुए भीड़ ने समझ लिया कि येसु वह मसीह नहीं हैं जैसा वे चाहते हैं जिसका इस पृथ्वी पर सिंहासन हो। येसु ने येरूसालेम में विजय प्राप्त करने के लिए लोगों की स्वीकृति नहीं खोजी और वस्तुतः वे येरूसालेम जाना चाहते थे ताकि नबियों के भाग्य में सहभागी हो सकें अर्थात् ईश्वर और लोगों के लिए अपने जीवन को दे देना। रोटी, हजारों लोगों के लिए तोड़ी गयी इसकी परिणति विजयदायी मार्च में नहीं होती है लेकिन ये क्रूस पर बलिदान का संकेत देती है जिसमें येसु जनता के लिए तोड़ी गयी रोटी बन जाते हैं, शरीर और रक्त, जो संसार के लोगों की आत्माओं की मुक्ति के लिए अर्पित किया जाता है। इसलिए येसु वह प्रवचन देते हैं ताकि भीड़ के भ्रम को तोड़ दें और विशेष रूप से अपने शिष्यों को निर्णय के लिए बाध्य करें। वस्तुत, इसके बाद अनेक लोगों ने येसु का अनुसरण नहीं किया।
प्रिय मित्रो, ख्रीस्त के शब्दों से हम विस्मित हो जायें। वे, एक दाना, जो इतिहास रूपी भूमि में गिरकर नवीन मानवता की अंकुर बने, पाप और मृत्यु के भ्रष्टाचार से मुक्त। हम यूखरिस्त संस्कार के सौंदर्य की पुर्नखोज करें जो ईश्वर की पवित्रता तथा हर प्रकार की विनम्रता को अभिव्यक्त करती है, वे छोटे बन गये, ब्रह्मांड का एक अंश बन गये ताकि इसे पूरी तरह से प्रेम में एक साथ मिला सकें।
कुंवारी माता मरियम जिन्होंने संसार को जीवन की रोटी को दिया हमें सिखायें कि सदैव प्रभु के साथ गहन एकता में जीवन जीयें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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