आदिवासी फ़िल्म ‘सोन्ग्स ऑफ़ मशान्गवा’ अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में
शिलौंग, 13 अगस्त, 2012 (कैथन्यूज़) उत्तरी-पूर्वी राज्य के नागा आदिवासियों के जीवन
पर एक संगीत फ़िल्म ‘सोन्ग्स ऑफ़ मशान्गवा’ को इटली में होने वाले अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म
महोत्सव के लिये चुना गया है। फ़िल्म महोत्सव का आयोजन 18 से 26 अगस्त तक इटली के
बोस्को कियेसानोवावभा में सम्पन्न होगा। इसमें 44 देशों के फ़िल्मों का प्रदर्शन किया
जायेगा। नागा आदिवासियों पर बनी इस फ़िल्म के निर्देशक मनीपूर निवासी राष्ट्रीय ख़्यातिप्राप्त
ओईनाम डोरेन है। उन्हें 58वें राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में पुरस्कृत किया गया था। फ़िल्म
की शूटिंग राजस्थान, मेघालया, नागालैंड, कोलकाता और मनीपुर के उखरूल प्रांतों में की
गयी है। इसका संगीत मधुर है और फोटोग्राफ़ी प्रभावपूर्ण। फ़िल्म की कहानी है 52 वर्षीय
मशान्गवा की जिन्हें नागाओं के बॉब दिलान रूप में जाना जाता है। वह गाँव-गाँव जानकर बुज़ूर्गों
से गीत सुनते और वाद्ययंत्र को जमा करते थे। उसके योगदान के लिये मनीपुर के आदिवासी संबंधी
मंत्रालय ने वर्ष 2011 -12 को राष्टरीय आदिवासी पुरस्कार दिया। मशान्गवा की मुलाक़ात
फ़िल्म निर्देशक डोरेन से सन् 2008 में हुए और उन्होंने मिलकर तीन संगीत फ़िल्म बनाने
का समझौता किया। ‘सॉन्ग्स ऑफ मशान्गवा’ उन तीन फ़िल्मों की श्रृंखला की पहली कड़ी है।
विदित हो कि डोरेन के मन में सन् 2000 से ही फ़िल्म बनाने की योजना थी जब उन्होंने
पहली बार रूवेन मशान्ग्वा की संगीत सुना था। मशान्ग्वा ने अपने संगीत को ‘नागा फोल्क
ब्लूस’ रूप में प्रस्तुत किया था जिसका आधार है भारत म्यामार की सीमा में रहने वाली नागा
जनजातियों का संगीत जिसे ‘तंखूल’ कहा जाता है। इस प्रांत में रहने वाले जनजातीयों का
जीवन ख्रीस्तीयता और पॉप संस्कृति से प्रभावित है। यह भी मालूम हो कि इटली का लेस्सिनिया
फ़िल्म महोत्सव ही एक ऐसी प्रतियोगिता है जो लघु फ़िल्मों, वृत्तचित्रों या ‘डोक्यूमेन्ट्रियों’
और पर्वतों पर निवास करने वाले लोगों के जीवन इतिहास परंपरा और संस्कृति पर आधारित हो।
इसकी शुरूआत चिम्बरी लेस्सिना में सन् 1995 ईस्वी में में हुई जब इटली के वेरोना पर्वत
को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम के प्रमुख प्रयोजक है लेस्सिना का पहाड़ी समुदाय
और फोरेस्ट कियेसानुवाभा शहर।