सन्त दोमिनिक दे गुज़मन का जन्म 06 अगस्त, सन्
1170 ई. में स्पेन के कालेरुईगा में हुआ था। फेलिक्स गुज़मन उनके पिता थे तथा आज़ा की
जोन उनकी माता। स्पेन के पालेन्सिया में दोमिनिक की शिक्षा-दीक्षा हुई थी और वहीं पर
वे पुरोहित अभिषिक्त हुए थे। सन् 1199 ई. में ऑज़्मा में, सन्त बेनेडिक्ट के नियमों पर
आधारित धर्मसमाज की रचना की गई जिसके सर्वप्रथम धर्मसमाज अध्यक्ष दोमिनिक को नियुक्त
किया गया।
सन् 1203 ई. में युवा पुरोहित, दोमिनिक दे गुज़मन, ऑज़्मा के धर्माध्यक्ष
डियेगो दे आवेज़ेदो के साथ, लाग्वेडॉक की यात्रा पर गये जहाँ दोमिनिक ने आलबीजेनसियन
अपधर्मियों के विरुद्ध प्रवचन कर उन्हें फटकार बताई तथा सिस्टरशियन धर्मसमाज में सुधारों
की बहाली की। सन् 1206 ई. में दोमिनिक ने महिलाओं के लिये प्रोईल्ले में एक धर्मसंघ की
स्थापना की। उन्होंने कई आध्यात्मिक साधना केन्द्रों की स्थापना की तथा प्रवचन के लिये
पुरोहितों को नियुक्त किया।
जब सन् 1208 ई. में, आलबीजेनसियन अपधर्मियों ने सन्त
पापा के विशेष दूत कास्टेलनान के पीटर की हत्या कर दी गई थी तब सन्त पापा इनोसेन्ट तृतीय
ने अपधर्मियों के विरुद्ध मॉन्टफोर्ट के साईमन चतुर्थ को अपनी सेना लेकर क्रूस युद्ध
के लिये भेजा था जो सात वर्षों तक जारी रहा। इस दौरान दोमिनिक ने अपधर्मियों के मनपरिवर्तन
की आशा से उनके बीच कई प्रवचन किये किन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली।
दोमिनिक के
कार्यों से प्रसन्न होकर साईमन चतुर्थ ने सन् 1214 ई. में उन्हें कास्सेनेयुल में एक
महल उपहार में दे दिया जिसमें दोमिनिक ने, अपने छः साथियों के साथ मिलकर, आलबीजेनसियन
अपधर्मियों के मनपरिवर्तन को समर्पित, एक धर्मसमाज की स्थापना की। एक वर्ष बाद इस धर्मसमाज
को टोलूज़ के धर्माध्यक्ष द्वारा कलीसियाई मान्यता दे दी गई तथा सन् 1215 ई. में दोमिनिक
द्वारा स्थापित, प्रवचनकर्त्ताओं के दोमिनिकन धर्मसमाज को, सन्त पापा होनोरिस तृतीय ने
अनुमोदन देकर सम्मानित कर दिया।
जीवन के अन्तिम वर्ष दोमिनिक ने
अपने धर्मसमाज के प्रबन्धन में व्यतीत किये जिसके लिये उन्होंने स्पेन, इटली तथा फ्राँस
की कई यात्राएँ करनी पड़ी। उन्होंने कई नये पुरोहिताश्रमों एवं आध्यात्मिक केन्द्रों
की स्थापना की। बौद्धिक जीवन को लोगों की ज़रूरतों के साथ जोड़ने की दोमिनिक की संकल्पना
उनके द्वारा स्थापित धर्मसमाज में स्पष्ट दिखाई दी और कई युवा इसके प्रति आकर्षित हुए।
धर्मसमाज की पहली आम सभा दोमिनिक द्वारा, सन् 1220 ई. में, इटली के बोलोन्या शहर में
बुलाई गई थी। हंगरी में एक प्रवचनयात्रा से लौटने के बाद दोमिनिक बीमार पड़ गये और 06
अगस्त, सन् 1221 ई. को उनका निधन हो गया। सन् 1234 ई. में, प्रवचनकर्त्ताओं के बेनेडिक्टीन
धर्मसमाज के संस्थापक दोमिनिक दे गुज़मन को सन्त घोषित कर कलीसिया में वेदी का सम्मान
प्रदान किया गया था। सन्त दोमिनिक दे गुज़मन का पर्व 08 अगस्त को मनाया जाता है।
चिन्तनः सन्त दोमिनिक दे गुज़मन के जीवन से प्रेरणा पाकर हम भी आध्यात्मिक
साधना में मन रमाकर ईश सत्य की खोज में लगे रहें।