रोम 28 जुलाई 2012 (सेदोक) वाटिकन प्रवक्ता फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने कहा कि विश्व
के सबसे आकर्षक स्पोर्टिंग खेलकूद ओलम्पिक समारोह की ओर विश्व की निगाह है। इस अवसर के
लिए ईसाई चर्चों को भी अनुप्राणित किया जा रहा है। सन 1992 में बारसिलोना नें हुए खेलकूद
के बाद से ही एवांजेलिक्ल्स, बापटिस्ट, मेथोडिस्ट और एपिस्कोपालियन्स ने " मोर दैन गोल्ड
" कलीसियाई एकतावर्द्धक पहल आरम्भ किया है ताकि ओलम्पिक के उत्साह से भरे विविधतापूर्ण
माहौल में ईश्वरीय राज्य के निर्माण के लिए एकसाथ काम करें। इस साल इंगलैंड में काथलिक
चर्च भी इस पहल में पूरे मन से शामिल हुआ है। 27 जुलाई को सुबह में सब ईसाई प्रार्थनालयों
के घंटे एक साथ बज उठे ताकि एथलीटों, पर्यटकों और जो भी इस खेलकूद समारोह में शामिल हो
रहे हैं वे उनका स्वागत कर सकें और उन्हें अपने दिल को ईश्वर की ओर उठाने के लिए सहायता
करें। प्रतिष्ठित पदकों और ये जिन मूल्यों के लिए सराहे जाते हैं तथा अल्पकालीन सफलता
से अधिक अर्थात स्वर्ण से अधिक क्या है जिसकी हम प्रतीक्षा करें। फादर लोम्बार्दी ने
कहा कि शक्ति की प्रशंसा, एथलीट की क्षमता और आकर्षण हमें मानव शरीर के सौंदर्य की आराधना
करने से नहीं रोके लेकिन यह समझदारी मिले कि मन और इच्छा शक्ति से इस शरीर को प्रशिक्षित
करें जहाँ आत्मा वास करती है। इसलिए यह सही है कि ओलम्पिक को विकलांग एथलीटों के पारा
ओलम्पिक के साथ जोड़े। पाराओलम्पिक का अर्थ कम नहीं है। ये जरूरी हैं ताकि ओलम्पिक के
बारे में सकारात्मक अर्थ को समझा जा सके। उन्होंनने कहा कि यह उचित है कि ओलम्पिक
को अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी समुदाय के लिए शांति की आशा के साथ जोड़ा जाये। संत पापा
ने विगत रविवार के देवदूत संदेश प्रार्थना के बाद दिये अभिवादन में स्मरण किया था कि
हम प्रार्थना करें कि लंदन में आयोजित खेलकूद समारोह विश्व के सबलोंगों के मध्य यथार्थ
बंधुत्व का अनुभव सिद्ध हो।