2012-07-20 09:19:50

प्रेरक मोतीः अन्ताखिया की सन्त मार्ग्रेट (निधन 304 ई.)


वाटिकन सिटी, 20 जुलाई सन् 2012:

अन्ताखिया की मार्ग्रेट एक कुँवारी शहीद हैं जिनका पर्व काथलिक कलीसिया तथा एंगलिकन कलीसिया 20 जुलाई को मनाती है जबकि ख्रीस्तीय ऑरथोडोक्स कलीसिया 17 जुलाई को सन्त मार्ग्रेट का पर्व मनाती है।

अन्ताखिया की मार्ग्रेट को मरीना नाम से भी जाना जाता है जिनके ऐतिहासिक अस्तित्व के बारे में प्रश्न उठाये जाते रहे हैं। यहाँ तक कि सन् 494 ई. में सन्त पापा जेलासियुस ने उन्हें अप्रामाणिक भी घोषित कर दिया था किन्तु इसके बावजूद पश्चिम देशों में मार्ग्रेट की भक्ति होती रही। कहा जाता है कि अन्ताखिया की मार्ग्रेट ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई भी उनके बारे चर्चा करेगा, उनकी जीवनी पढ़ेगा, उन पर कुछ लिखेगा या फिर उनकी मध्यस्थता हेतु प्रार्थना करेगा उनपर प्रभु की अपार कृपा बरसेगी; निःसन्देह इस प्रतिज्ञा ने उनके प्रति लोकभक्ति को प्रोत्साहन दिया।

किंवदन्ती है कि मार्ग्रेट अन्ताखिया (वर्तमान तुर्की) में रहनेवाले एक विधर्मी पुजारी की पुत्री थीं। मार्ग्रेट ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था इसलिये उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था। घर से निकाल दिये जाने के बाद वे एक निर्धन मेषपालीय महिला के साथ रहने लगीं तथा उनकी भेड़ों के चराने लगीं। उस समय अन्ताखिया के पिसिदिया प्रान्त में प्रशासक ओलीब्रियुस रोमी सम्राट का प्रतिनिधि था। मार्ग्रेट के सौन्दर्य के प्रति वह आकर्षित हुआ। उसने मार्ग्रेट से विवाह का प्रस्ताव किया तथा साथ ही ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग की भी शर्त रखी। मार्ग्रेट ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसके उपरान्त प्रशासक ओलीब्रियुस ने मार्ग्रेट पर ख्रीस्तीय होने का आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार करवा दिया। कारावास में उसने मार्ग्रेट को कड़ी यातनाएं दीं ताकि वह ख्रीस्तीय धर्म का परित्याग कर दे किन्तु मार्ग्रेट अपने विश्वास पर अटल रहीं जिसके उपरान्त सन् 304 ई. में उनका सर धड़ से अलग उन्हें मार डाला गया। अन्ताखिया की शहीद और कुँवारी मार्ग्रेट का पर्व 20 जुलाई को मनाया जाता है।


चिन्तनः सांसारिक धन वैभव का लोभ लालच छोड़ हम ईश्वर एवं सत्य की खोज में लगें।








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