2012-07-20 17:13:29

अफ्रीकी अमेरिकी मेषपालीय सेवा पर सम्पन्न बैठक के प्रतिभागियों के लिए संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी 20 जुलाई 2012 (वीआईएस)- संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बोरतोने के माध्यम से लातिनी अमरीकी धर्माध्यक्षीय कौंसिल (सीइएलएएम) के तहत शिक्षा और संस्कृति विभाग के अध्यक्ष और पनामा के सहायक धर्माध्यक्ष पाब्लो वारेला सेरवेर को अफ्रीकी अमेरिकी मेषपालीय सेवा पर सम्पन्न हो रही 12 वीं बैठक के उपलक्ष्य में एक संदेश भेजा। इक्वेडर के गुयाक्विल में 16 से 20 जुलाई तक सम्पन्न बैठक में ब्राजील, वेनेजुवेला, कोलम्बिया, इक्वेडोर, पेरू, मेक्सिको, अर्जेन्टीना, पनामा, बोलिविया, चिली, उरुग्वे, निकारागुआ, कोस्टारिका, होंडुरास, ग्वाटेमाला और जमैका के लगभग 250 प्रतिनिधि भाग शामिल हुए।
अफ्रीकी अमेरिकी मेषपालीय सेवा की 12 वीं बैठक का शीर्षक है- "African American and Caribbean Pastoral Care and the Aparecida Document. Challenges and Hopes in the Church and in Society".
16 जुलाई से आरम्भ इस बैठक का लक्ष्य था- अफ्रीकी मूल के अमरीकियों को चर्च और समाज में सहभागीबनानेवाली प्रक्रियाओं को गति प्रदान करना, एकता को बढावा देना, लातिनी अमरीका तथा कैरिबियाई क्षेत्र के लोगों के मानवीय, सामाजिक और धार्मिक विकास का प्रसार करना तथा विशिष्ट अस्मिता के साथ अश्वेत ईसाई समुदायों के विकास की प्रक्रिया को जारी रखना।
लोगों को सुसमाचार के पथ पर चलने के लिए मार्गदर्शन देने हेतु संत पापा ने प्रतिभागी धर्माध्यक्षों को उत्साह बढाते हुए कहा कि वे अफ्रीकी अमरीकी परम्पराओं, इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों का अवलोकन करें ताकि मानवजाति के गहनतम सवालों का यथार्थ प्रत्युत्तर देने के लिए येसु ख्रीस्त को प्रस्तुत करने की कलीसिया की क्षमता को बेहतर कर सकें। ऐसा करते समय वे स्वयं को पवित्र आत्मा के संवेग से संचालित होने दें जो सब संस्कृतियों को फलप्रद बनाने के लिए आये, उन्हें परिष्कृत किया तथा नये बीजों को अंकुरित किया जिसे शब्दधारी देह ने उनके मध्य रखा।
संत पापा ने धर्माध्यक्षों और अन्य सहयोगियों से उनलोगों को सहायता और सहयोग देते रहने को कहा जो बहुधा उपेक्षित हैं तथा समाज के हाशिये पर रहते हैं।
लातिनी अमरीकी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीईएलएएम) द्वारा जारी व्क्तव्य में कहा गया कि सन 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अफ्रीकी मूल के लोगों का अंतराष्ट्रीय वर्ष और अफ्रीकी मूल के लोगों का अंतरराष्ट्रीय दशक मनाये जाने के आह्वान को देखते हुए लातिनी अमरीका में कलीसिया अफ्रीकी मूल के लोगों पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर रही है ताकि चर्च और समाज में उनकी उपस्थिति और सहभागिता हो।








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