2012-07-17 08:30:40

प्रेरक मोतीः कोमपीन्ये के शहीद (1794 ई.)
(17 जुलाई)


वाटिकन सिटी, 17 जुलाई सन् 2012:

17 जुलाई को काथलिक कलीसिया कारमेल धर्मसंघ की 16 शहीद महिलाओं का स्मृति दिवस मनाती है। फ्राँस में सन् 1789 ई. की क्रान्ति के दौरान कारमेल धर्मसंघी मठ की 16 महिलाओं को ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर प्राण दण्ड देकर मार डाला गया था।

फ्राँस के कोमपिन्ये में सन् 1641 ई. में स्थापित मठ में, नंगे पैर रहनेवाली कारमेल धर्मसंघ की 21 समर्पित भिक्षुणियाँ जीवन यापन करती थीं। फ्राँस की क्रान्ति, सन् 1789 ई. में आरम्भ हुई थी तथा सन् 1790 ई. में, क्रान्तिकारी सरकार ने कोमपिन्ये के मठ को बन्द करने का आदेश दे दिया था। सन् 1794 ई. में क्रान्तिकारियों ने पाया कि, सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए, 16 महिलाएँ मठ में जीवन यापन कर रहीं थीं। 22 जून, सन् 1794 ई. में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा कोमपिन्ये के ही एक आश्रम भेज दिया गया। यहाँ रहते हुए महिलाओं ने खुलेआम धर्मसंघी जीवन यापन करना शुरु कर दिया। 12 जुलाई, सन् 1794 ई. को इन्हें राजधानी पेरिस ले जाया गया तथा पाँच दिन बाद, क्रान्तिकारी सरकार के आदेश के उल्लंघन तथा देशद्रोह के आरोप में, प्राण दण्ड दे दिया गया। इन 16 धर्मसंघियों में 11 नंगे पैर रहनेवाली धर्मबहनें, तीन लोकधर्मी महिलाएँ तथा दो बाह्य सदस्याएं थीं।

कोमपिन्ये के कारमेल मठवासी शहीदों को, सन् 1906 ई. में, सन्त पापा पियुस दसवें ने, धन्य घोषित किया था। इनका पर्व 17 जुलाई को मनाया जाता है।

चिन्तनः कठिन क्षणों में भी हम ईश्वर में अपने विश्वास का परित्याग नहीं करें तथा हर अवस्था में प्रभु येसु ख्रीस्त के सुसमाचार के साक्षी बनें।








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