देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
वाटिकन सिटी 16 जुलाई 2012 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 15 जुलाई
को कास्तेल गांदोल्फो स्थित ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों
और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने इताली भाषा
में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज कलीसिया 15
जुलाई को पूजनधर्मविधि पंचांग में धर्माचार्य, बान्योरेज्यो के संत बोनावेंचर का स्मरण
करती है जो संत फ्रांसीस असीसी के उत्तराधिकारी और फ्रांसिस्कन धर्मसंघ के प्रमुख थे।
उन्होंने फ्रांसिस का पहला जीवनचरित लिखा। वे अपने जीवन के अंतिम पहर में अल्बानो धर्मप्रांत
के धर्माध्यक्ष भी थे। अपने पत्र में संत बोनावेंचर लिखते हैं- मैं ईश्वर के सामने स्वीकार
करता हूँ कि मेरे लिए धन्य संत फ्रांसिस के जीवन को और अधिक प्यार करने का कारण था कि
यह कलीसिया की उत्पत्ति और विस्तार के सदृश था।
ये शब्द, इस रविवार के सुसमाचार
पाठ का सीधा संदर्भ देते हैं, येसु द्वारा बारह शिष्यों को पहली बार भेजे जाने का। संत
मारकुस हमें बताते हैं- येसु ने बारहों को बुलाया और उन्हें दो-दो कर भेजा। ईसा ने उन्हें
आदेश दिया कि वे लाठी के सिवा रास्ते के लिए कुछ भी नहीं ले जायें न रोटी, न झोली, न
फेंटे में पैसा। वे पैरों में चप्पल बाँधें और दो कुरते नहीं पहनें।
फ्रांसिस
असीसी ने अपने मनपरिवर्तन के बाद सुसमाचार के इन शब्दों का अक्षरशः पालन किया, येसु के
निष्ठावान साक्षी बने और क्रूस के रहस्य से विशेष रूप से जुड़े, वे दूसरे ख्रीस्त बन
गये जैसा कि संत बोनावेंचर प्रस्तुत करते हैं।
संत बोनावेंचर का सम्पूर्ण जीवन
और उनके ईशशास्त्र की केन्द्रीय उत्प्रेरणा येसु ख्रीस्त हैं। ख्रीस्त की यह केन्द्रीयता
आज के ख्रीस्तयाग के दूसरे पाठ में पायी जाती है। एफेसियों के नाम लिखे संत पेत्रुस के
पत्र का प्रसिद्ध गीत जो इस प्रकार शुरू होता है- धन्य है हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर
और पिता, उसने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के आध्यात्मिक वरदान प्रदान
किये हैं।
इसके बाद प्रेरित दिखाते हैं कि कैसे यह संरचना, वरदानों से बनी है।
चार चरणों में जो एक ही अभिव्यक्ति, उसने, येसु ख्रीस्त का संदर्भ देते हुए शुरू होती
है। पिता ईश्वर ने संसार की सृष्टि से पहले मसीह में हमको चुना, जो अपने रक्त द्वारा
हमें मुक्ति दिलाते हैं, वह हमारी विरासत का आश्वासन हैं, उसकी महिमा की स्तुति हो, आप
लोगों ने भी मुक्ति का सुसमाचार सुनने के बाद मसीह में विश्वास किया है और आप पर उस पवित्र
आत्मा की मुहर लग गयी।
यह गीत इतिहास के बारे में संत पौलुस के दृष्टिकोण को
धारण करता है जिसे संत बोनावेंचर ने सम्पूर्ण कलीसिया में फैलाने में सहायता किया। यह
सम्पूर्ण कथा ख्रीस्त पर केन्द्रित है, हर युग में नया बनने में सहायता करती है। येसु
में ईश्वर ने कहा और सब कुछ दिया है लेकिन क्योंकि वे समाप्त नहीं होनेवाली निधि हैं,
पवित्र आत्मा इस रहस्य को साकार करने और प्रकट करने में कभी नहीं रूकते। इसलिए ख्रीस्त
का काम और कलीसिया कभी भी किसी चीज को घटाती नहीं लेकिन सदैव प्रगति करती है।
प्रिय
मित्रो, हम पवित्रतम कुँवारी माता मरियम की मध्यस्थता से याचना करें जिनका समारोह हम
कल 16 जुलाई को माउंट कारमेल की कुँवारी के रूप में मनाते हैं। संत फ्रांसिस और संत बोनावेंचर
का अनुकरण करते हुए शब्दों और अपने जीवन से मुक्ति के सुसमाचार की उदघोषणा करने के ईश्वर
के बुलावे का हम उदारतापूर्वक जवाब दें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत
संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।