2012-07-16 14:57:58

ईश्वर की आवाज़ सुनें, स्वीकारें और समर्पित हों


फ्रस्काती, रोम, 16 जुलाई, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने 15 जुलाई, रविवार को रोम के निकट फ्रस्काती में आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन के दौरान कहा, "विश्वासी नयी पीढ़ी के ईसाइयों के प्रशिक्षण में कलीसिया की ज़िम्मेदारी संभालें।"

उन्होंने कहा, " ईश्वर उन्हें बुला रहे हैं, ज़रूरत है कि वे उन्हें सुनें। कलीसिया के सदस्य होने के अर्थ का पुनर्खोज़ करने का अभिप्राय है येसु मसीह के उस कार्य को आगे बढ़ाना जिसके द्वारा उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया। कलीसिया को चाहिये कि पुरोहितों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों को प्रशिक्षण दे।"

उन्होंने कहा," प्रेरितों के समान सुसमाचार प्रचारक या मिशनरी बनने का अर्थ है तिरस्कार, धर्मसतावट को गले लगाना अर्थात् ‘सत्य और न्याय’ के लिये खड़ा होना जिसके लिये कई बार प्रशंसा और मानवीय सम्मान नहीं मिलता।"

विदित हो, कि संत पापा अभी अपने ग्रीष्मावकाश के लिये रोम से पूर्व 19 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित कास्तेल गंदोल्फो में हैं। रविवार को उन्होंने फ्रस्काती में संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में मिस्सा अनुष्ठान चढ़ाया जिसमें 8 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया।

संत पापा ने कहा, आप एकता बनाये रखें और मिशनरी बनें।" आप दो हज़ार वर्ष के बाद भी येसु मसीह के मिशन प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण में लगे हुए हैं। ईश्वर हम सबों को विभिन्न वरदान देते हैं ताकि हम कलीसिया के विभिन्न कार्यों को पूरा कर सकें।"

उन्होंने फ्रस्काती के लोगों से कहा, "ईश्वर आपको पुरोहित बनने और समर्पित जीवन जीने का आमंत्रण दे रहे हैं ताकि आप उसके आमंत्रण को स्वीकार कर कलीसिया और समाज की सेवा करें। आज ज़रूरत है आप ईश्वर आवाज़ को सुनें, उसे स्वीकार करें और उसके प्रति समर्पित हों।"










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