नई दिल्ली, 14 जुलाई, 2012 (कैथन्यूज़) नई दिल्ली में ‘कैथोलिक रेलिजियस इन इंडिया’ तथा
धर्मसमाजियों के मेज़र सुपीरियरों ने संयुक्त रूप से ने 9 से 12 जुलाई तक युवा धर्मसमाजी
बहनों का एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जिसमें पूरे देश से 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा
लिया।
युवा धर्मसमाजी बहनों के लिये आयोजित सेमिनार की विषयवस्तु थी, ‘लीडरशिप
फॉर कोन्सेक्रेटेड लाईफ़, 2020’ अर्थात् ‘समर्पित जीवन का नेतृत्व, 2020’।
सेमिनार
के दौरान कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किये गये और वक्ताओं ने लोगों का ध्यान इस ओर खींचा
कि भारत की कलीसिया का नेतृत्व पुरुषप्रधान रहा है और निर्णय में धर्मसमाजी बहनों को
अब तक शामिल नहीं किया गया है।
सिस्टर फ्लोरि ने कहा, "चर्च में हो रहे कुछेक
अप्रिय घटनायें लोगों और ईश्वर को सेवा करने की उनकी इच्छा प्रभावित नहीं करतीं हैं"।
दो
पूर्व धर्मबहनों की आत्मकथा में धर्मसमाजी जीवन की आलोचना किये जाने के बारे में बोलते
हुए सिस्टर जेसी जेकब ने कहा, "उनकी आत्मकथा उनके व्यक्तिगत अनुभव थे जिसे धर्मसमाजी
जीवन की विश्वसनीयता समाप्त नहीं हो जाती"।
ओडिशा के आदिवासी के बीच कार्यरत
होली स्पीरिट की धर्मबहन सिस्टर जेकब ने कहा, "लोगों का यह सोचना कि धर्मसमाजी अपने कोन्वेंट
के घेरे के अंदर कुंठित और निराश रहती हैं सरासर ग़लत है"।
उन्होंने कहा, "धर्मबहनें
न्यायसम्य समाज चाहती हैं समानता नहीं। उन्होंने यह भी कहा, "हमारी वर्दी नहीं पर हमारे
वर्ताव हमें सम्मान दिलाते हैं"।
सेमिनार में उपस्थित धर्मबहनों ने इस बात को
स्वीकार किया कि दुनिया बदल रही है और बदलाव के साथ उन्हें में आधुनिक साधनों का उपयोग
कर चर्च के मिशन को प्रभावकारी बनाना है।
सभा का समापन में एक ‘पार्लियामेंट’
का संगठन किया गया ताकि सन् 2012 के समर्पित जीवन को प्रभावकारी बनाया जा सके।
विदित
हो भारत में 1 लाख 30 से ज़्यादा धर्मसमाजी बहनों की आयु तीस से चालीस के बीच है जो अगले
दस सालों में अपने समाज का नेतृत्व करेंगी।