2012-07-10 08:52:14

प्रेरक मोतीः सन्त पेरपेतुआ एवं सन्त फेलीसिती (तीसरी शताब्दी के शहीद)
(10 जुलाई)


वाटिकन सिटी, 10 जुलाई सन् 2012:

पेरपेतुआ और फेलीसिती तीसरी शताब्दी की दो धर्मपरायण महिलाएँ हैं जिन्हें, ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन करने के लिये गिरफ्तार कर, मार डाला गया था। 22 वर्षीया पेरपेतुआ एक कुलीन घराने की विवाहित महिला थीं जिनका एक पुत्र भी था। पति के मरने के बाद पेरपेतुआ अपने पिता के घर लौट आई थीं। उस युग में ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रचार करनेवाले धर्मशिक्षक सातुरुस से वे अत्यधिक प्रभावित हुई तथा उन्होंने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया। उनके साथ साथ उनकी सेवा में संलग्न दासी तथा गर्भवती युवती फेलीसिती ने भी अपनी मालकिन का अनुसरण कर ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार कर लिया था।

अफ्रीका के रोमी प्रान्त कारथेज में उस समय ख्रीस्तीयों को चुन चुन कर क़ैद किया जा रहा था तथा मौत के घाट उतारा जा रहा था। इस दमनचक्र के काल में पेरपेतुआ, उनकी दासी फेलीसिती तथा धर्मशिक्षक सातुरुस को भी गिरफ्तार कर लिया गया तथा ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग हेतु बाध्य किया गया। उनसे कहा गया कि यदि वे ख्रीस्त में अपने विश्वास परित्याग कर देंगे तो उन्हें रिहा कर दिया जायेगा किन्तु विश्वास की धनी इन लोगों ने इनकार कर दिया। पेरपेतुआ, फेलीसिती, सातुरुस एवं अनेक ख्रीस्तीयों को, 07 मार्च 203 ई. को, तत्कालीन रोमी सम्राट गेटा के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदर्शित सैन्य क्रीड़ाओं के दौरान, प्राण दण्ड दे दिया गया। शहीद सन्त पेरपेतुआ एवं सन्त फेलीसिती का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाता है। सन्त पेरपेतुआ एवं सन्त फेलीसिती ज़रूरतमन्द महिलाओं की संरक्षिकाएँ हैं।

चिन्तनः युद्ध एवं दमनचक्र के कारण अपने बच्चों से अलग हुई महिलाओं तथा गर्भवती महिलाओं में, सन्त पेरपेतुआ एवं सन्त फेलीसिती विश्वास की ज्योत जगायें तथा उन्हें जीवन पथ पर आगे बढ़ने का साहस प्रदान करें।








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