एरोद, तमिलनाडू 4 जुलाई, 2012 (कैथन्यूज़) तमिलनाडु के इरोड जिले की एक महिला ने मस्तिष्क
पक्षाघात से पीड़ित अपनी 14 वर्षीय पुत्री के लिये ‘सुखमृत्यु’ (मर्सी किलिंग) की याचना
की है। उन्होंने एरोड के जिलाधिकारी वी.के. शानमुगम को लिखे अपने आवेदन में कहा है
कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने और एक अन्य पुत्री के भरणपोषण में कठिनाइयाँ आने के कारण
उन्होंने सुखमृत्यु की अपील की है। उन्होंने बतलाया कि वह मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित
‘असमान सक्षम’ बेटी का इलाज़ अच्छे अस्पताल में नहीं करा सकती है इसलिये उन्होंने यह
निवेदन किया है। जिलाधिकारी शानमुगम ने महिला को आश्वासन दिया उस बच्ची को ‘असमान
सक्ष्म’ लोगों के लिये बने निवास में पहुँचाये जाने की व्यवस्था की जायेगी। विशेषज्ञों
ने बतलाया कि बच्ची को मस्तिष्क पक्षाघात की जो बीमारी है वह जन्मजात विकार और असाध्य
है अर्थात् यह ठीक नहीं हो सकता। विदित हो कि सुखमृत्यु की याचना का मामला इसके पहले
भी आ चुका है। मई माह में एचआईवी पोजीटिव से पीड़ित व्यक्ति ने इसका अपील की थी। उसी
माह में एक पिता ने भी अपनी अनत्य बेटी के लिये मृत्यु की अपील की थी। ज्ञात हो कि
सर्वोच्च न्यायालय ने विगत मार्च महीने में अरुणा शौनबाग की सुखमृत्यु की याचिका को ख़ारिज़
कर दिया था जो तीन दशकों से मुम्बई के किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल में निष्क्रिय
अवस्था में है। सन् 1973 ईस्वी के नवम्बर माह में वार्ड ब्वॉय द्वारा किये गये यौन
हमले से उसका बाँया मस्तिष्क निष्क्रिय हो गया।