संत पेत्रुस और संत पौलुसः एक नये प्रकार का भाईचारा
वाटिकन सिटी 29 जून 2012 (सेदोक वीआर वर्ल्ड) काथलिक कलीसिया ने 29 जून को प्रेरित संत
पेत्रुस और प्रेरित संत पौलुस का समारोही महापर्व मनाया। इस उपलक्ष्य में संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की। उन्होंने
प्रवचन करते हुए कहा कि रोमी कलीसिया के प्रमुख संरक्षकों के समारोही पर्वदिवस पर इस
वेदी के चारों और हम जमा हुए हैं। पेत्रुस और पौलुस मानवीय क्षमताओं के अर्थ में एक दूसरे
से बहुत भिन्न थे तथा उनके परस्पर संबंधों में हुए संघर्षों के बावजूद वे एक नये प्रकार
के भ्रातृत्व को प्रदर्शित करते हैं जो सुसमाचार के अनुसार जीया जाता तथा ख्रीस्त की
कृपा के द्वारा ही संभव होता है। केवल ख्रीस्त का अनुसरण करके ही एक व्यक्ति इस प्रकार
के भाईचारा तक पहुँच पाता है। यही संत पेत्रुस और संत पौलुस के समारोही पर्व का बुनियादी
संदेश है जिसका महत्व कलीसिया की पूर्ण एकात्मता में प्रतिबिम्बित होता है। इसकी कामना
कलीसियाई एकतावर्द्धक प्राधिधर्माध्यक्ष तथा रोम के धर्माध्यक्ष एवं वस्तुत सब ईसाई करते
हैं। सामुदायिकता और बंधुत्व के मुद्दे पर संत पापा द्वारा दिये गये बल पर इस वर्ष
विशिष्ट जोर रहा क्योंकि समारोही ख्रीस्तयाग में कुस्तुंतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष
का एक प्रतिनिधिमंडल तथा वेस्टमिंस्टर मठ की गायनमंडली स्कोला कंटोरूम उपस्थित था। इस
गायन मंडली ने सिस्टीन चैपल की गायनमंडली के साथ गायन कर पूजनधर्मविधि को समृद्ध किया।
अपने प्रवचन में संत पापा ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में स्थित संत पेत्रुस
और संत पौलुस की बड़ी मूर्तियों की ओर विश्वासियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि ईसाई
परम्परा में इन दोनों संतों को हमेशा एक साथ देखा गया है। ये दोनों ख्रीस्त के सम्पूर्ण
सुसमाचार को प्रस्तुत करते हैं। विश्वास में बंधु के रूप में इनका बंधन रोम शहर में विशिष्ट
सार्थकता को प्राप्त किया। संत पापा ने समारोही ख्रीस्तयाग के दौरान विश्व के 43
नये महाधर्माध्यक्षों को अम्बिरिकाएं प्रदान कीं। उन्होंने महाधर्माध्यक्षों को स्मरण
कराया कि वे कलीसिया रूपी सामुदायिकता के महान रहस्य के लिए बने हैं, वह आध्यात्मिक भवन
जिसकी आधारशिला ख्रीस्त हैं तथा अपने ऐतिहासिक और पार्थिव आयाम में यह पेत्रुस रूपी चट्टान
पर निर्मित है। संत पापा ने कहा कि इस दृढ़ धारणा से प्रेरणा पाकर हम जानते हैं कि हम
सब सत्य के सहयोगी हैं तथा इसके लिए हममें से प्रत्येक जन और हमारे समुदायों में प्रभु
के प्रति एक ही आत्मा के भाव में मन परिवर्तन के लिए सतत समर्पण की जरूरत है। विश्वास
और उदारता के पथ पर चलने के लिए ईश्वर की पवित्र माँ, सदैव हमारा मार्गदर्शन करें, प्रेरितों
की रानी हमारे लिए प्रार्थना करे।