2012-06-28 13:36:55

‘वयस्क स्टेम सेल’ की एक प्रति संत पापा को भेंट


वाटिकन सिटी, 28जून, 2012 (वीआर, अंग्रेजी) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के बाद 27 जून को स्टेम सेल्स पर लिखी एक किताब ‘आवर स्टेम सेल्सः मिस्टरी ऑफ लाइफ़ एंड सिक्रेट्स ऑफ हीलिंग’ (हमारा स्टेम सेलः जीवन का मर्म और चंगाई के रहस्य) की एक प्रति संत पापा बेनेदिक्त को भेंट की गयी।

विदित हो कि इस किताब का प्रकाशन संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष मान्यवर थोमसज त्राफनी, स्टेम फॉर लाइफ़ फ़ाउन्डेशन के अध्यक्ष डॉक्टर रोबिन स्मिथ एवं ट्रस्टी ऑफ द स्टेम फॉर लाईफ़ फाउँडेशन के संयुक्त प्रयासों का फल है।

इस किताब में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के उस संबोधन को भी प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे ‘वयस्क स्टेम सेल रिसर्च’ (अडल्ट स्टेम सेल रिसर्च) का समर्थन करते हैं और इस क्षेत्र में जागरुकता की कामना करते हैं ताकि मानव पीड़ा को कम किया जा सके।

इस किताब में उन अवधारणाओं पर विचार-विमर्श किये गये हैं जिन्हें सन् 2011 में आयोजित प्रथम अंतरराष्ट्रीय अडल्ट स्टेम सेल सेमिनार में भी विचार किये गये थे। इसमें पुनर्योजी चिकित्सा के भविष्य के लिये वयस्क स्टेम सेल की भूमिका का महत्वपूर्ण एवं व्यापक सिंहावलोकन है।

एक शक्तिशाली सरल भाषा के साथ पुस्तक वयस्क स्टेम सेल की सफलताओं की एक विस्तृत जानकारी है। इसमें उन बातों की चर्चा है जिसके द्वारा क्षतिग्रस्त दिल और अंगों की मरम्मत करने, दृष्टिक्षमता को बहाल करने, कैंसर को ठीक करने, मधुमेह का इलाज करने, जले हुए को चंगा करने और अल्जाइमर जैसे असाध्य रोगों को रोकने आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

प्रकाशकों ने इस बात की भी जानकारी दी है कि स्वास्थ्य विज्ञान को आसानी से समझने के लिये उन्होंने वयस्क स्टेम सेल के कुछ केस-स्टडी भी प्रस्तुत किये है जिनसे लोगों को लाभ प्राप्त हुए हैं।

संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष मान्यवर तोमसज ने बतलाया कि इस किताब वैज्ञानिक और धार्मिक समुदाय के बीच वार्ता को बढ़ावा देगा।

यह उन बातों की भी मदद करेगा जिसकी रूपरेखा में व्यक्ति नैतिक मूल्यों के मार्गनिर्देशन में सत्य की खोज कर सकेगा।

मान्यवर तोमसज की आशा है कि इससे दुनिया के लोग नैतिक वैज्ञानिक रिसर्च के बारे में जानकारी प्राप्त कर पायेंगे और इस बात को समझ पायेंगे कि मानव जीवन की प्रगति के लिये विज्ञान और विश्वास दोनों ज़रूरी है।

























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