जिनिवाः संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के प्रतिनिधि ने ऋणों को माफ करने का किया आह्वान
जिनिवा, 26 जून सन् 2012 (ज़ेनित): जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों में
वाटिकन के प्रतिनिधि तथा परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थोमासी
ने निर्धन देशों के विदेशी ऋणों को माफ करने का आह्वान किया। विदेशी ऋणों एवं अन्य
अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय अनुबन्धों पर जारी एक स्वतंत्र रिपोर्ट के प्रत्युत्तर में महाधर्माध्यक्ष
थोमासी ने कहा कि धनी देशों का नैतिक दायित्व है कि वे निर्धन देशों के ऋणों को माफ कर
दें। परमधर्मपीठीय प्रतिनिधि ने रिपोर्ट की इस पुष्टि को समर्थन दिया है कि "सभी
आर्थिक एवं सामाजिक सम्बन्धों पर मानवाधिकार, न्याय एवं नैतिक मूल्यों सम्बन्धी नियम
लागू होते हैं।" महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "विदेशी ऋण के मूल्यांकन में मानवाधिकार,
संकीर्ण आर्थिक एवं भौतिकतावादी समझ से परे, अखण्ड मानव विकास हेतु एक महत्वपूर्ण मापदण्ड
सिद्ध हो सकता है।" महाधर्माध्यक्ष थोमासी ने विदेशी ऋण मामले को सुलझाने हेतु मानवीय
व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आधारित नैतिक मान दण्डों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऋण समस्या
निरन्तर जारी निर्धनता तथा वैश्वीकरण के कारण अनवरत उभरती नई असमानताओं से जुड़ी है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि ऐसे विश्व को अब और सहा नहीं जा सकता जहाँ अत्यधिक धनवान एवं
दूसरी ओर अति अधिक निर्धन एक साथ जीवन यापन करते हैं।