वाटिकन सिटी 21 जून 2012 (सेदोक, वी आर वर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने Reunion
of Organisations for Aid to the Oriental Churches अर्थात् (ROACO) की वार्षिक सभा
में भाग ले रहे 80 प्रतिभागियों को 21 जून को वाटिकन स्थित क्लेंमेंतीन सभागार में अपना
संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक संकट जिसने विश्वव्यापी आयाम ले लिया
है यह न केवल आर्थिक रूप से विकसित देशों को लेकिन अत्यधिक अल्पविकसित क्षेत्रों को भी
चिंताजनक रूप से प्रभावित करता है। इस प्रक्रिया में इससे कहीं अधिक पूर्व में प्राचीन
ख्रीस्तीय परम्पराओं की मातृभूमि में असुरक्षा की स्थिति तथा कलीसियाई स्तर पर कलीसियाई
एकतावर्द्धकता और अंतर धार्मिक वार्ता के क्षेत्रों में भी अस्थिरता उत्पन्न करती है।
ये कारक ऐतिहासिक घावों को पोषण प्रदान करते तथा लोगों के मध्य संवाद, शांति, सहअस्तित्व
की भावना, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को नाजुक बनाते है विशेष रूप से निजी और सामुदायिक
स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को कमजोर करते हैं।
संत पापा ने कहा कि
यह अवसर है कि सीरिया में रह रहे अपने भाई बहनों की महान पीड़ाओं के प्रति, विशेष रूप
से निर्दोष युवाओं और सबसे अधिक असुरक्षित लोगों के प्रति अपनी समीपता की पुर्नपुष्टि
करें।
पवित्र भूमि के प्रतिनिधियों सहित भारत में सीरो मलाबार रीति की कलीसिया
और उक्रेन में ग्रीक काथलिक चर्च के अधिकारी, सीरिया में प्रेरितिक राजदूत और सीरिया
में कारितास के अध्यक्ष भी रोआको की इस वर्ष की वार्षिक बैठक में भाग ले रहे हैं। संत
पापा ने कहा कि हमारी प्रार्थना, समर्पण और ख्रीस्त में हमारी ठोस बंधुता विश्वासियों
को मदद करे कि वे घोर अंधकार के इस क्षण में आशा नहीं खोयें। ईश्वर जिम्मेदारी के पद
पर रहनेवालों को विवेक प्रदान करे ताकि हर प्रकार की हिंसा और रक्तपात बंद हो।
संत
पापा ने रोआको के सदस्यों का आह्वान किया कि वे ख्रीस्त के ह्दय से निकलनेवाली उदारता
के असरकारी चिह्न बनें तथा संसार के लिए कलीसिया की यथार्थ अस्मिता और मिशन को प्रस्तुत
करें।