संत पापा की धर्मशिक्षा बुधवारीय-आमदर्शन समारोह में 20 जून, 2012
वाटिकन सिटी, 20 जून, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा
बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों
को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम ‘ख्रीस्तीय प्रार्थना’ विषय पर अपना
चिन्तन जारी रखते हुए प्रेरित संत पौल की उस प्रार्थना पर मनन-ध्यान करें जिसे हम एफेसियों
के पत्र के आरंभ में पाते हैं। इसमें संत पौल ने ईश्वर की महिमा करते हुए आशीष की कामना
की है।
संत पौल ने ईश्वर की महिमा करते हुए कहा कि धन्य हो हमारे प्रभु येसु
ख्रीस्त के पिता जिन्होंने हमारे लिये अपनी पवित्र इच्छा के रहस्य (एफे.1:9) और मुक्ति
योजना को को प्रकट किया है। सृष्टि के पूर्व ईश्वर ने हमें चुना ताकि हम उसके दत्तक
पुत्र बन कर उसकी महिमामय विरासत को प्राप्त करें((एफे.1:4)। येसु के क्रूस पर बहाये
गये रक्त द्वारा उन्होंने हमें अपनी महती दया दिखलायी, पापों को माफ़ किया ईश्वर के साथ
हमारा मेल कराया है। पवित्र आत्मा के वरदोनों द्वारा उन्होंने हम पर अपना सील डाल
दिया है ताकि हम उचित समय में पूर्ण मुक्ति प्राप्त कर सकें। संत पौल की प्रार्थना
हमें इस बात के लिये आमंत्रित करती है कि हम इतिहास में ईश्वर की प्रकट हो रही मुक्ति
योजना पर चिन्तन करें और कलीसिया और हमारे व्यक्तिगत जीवन में उनकी उपस्थिति को पहचान
सकें। हम येसु में चुने जाने के रहस्य के लिये उनकी महिमा गायें और अपने मन-दिल को
खुला रखें और हम पवित्र तृत्व की उपस्थिति में अपना जीवन बिता सकें जो हमें पूर्ण रूप
से बदल कर ईश्वर के योग्य बना देगा।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त
किया।
उन्होंने इंडोनेशिया के अंतरधार्मिक सद्भावना मंच के प्रतिनिधियों, ‘वाटिकन
ऑवजरवातोरी समर स्कूल’ और अमेरिका के ‘वूनडेड वारियरस’ दल के सदस्यों का अभिवादन किया।
उन्होंने पाकिस्तान, इंडोनेशिया, स्कॉटलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंगलैंड, न्युजीलैंड, जापान
फिलिपींस और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों
पर प्रभु की कृपा तथा शांति की कामना करते हुए सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।