2012-06-18 08:07:59

प्रेरक मोतीः सन्त ग्रेगोरी बारबारिगो (1625 ई.- 1697 ई.)
(18 जून)


वाटिकन सिटी, 18 जून सन् 2012:

सन्त ग्रेगोरी बारबारिगो का जन्म, सन् 1625 ई. में, इटली के वेनिस नगर के, एक कुलीन और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। ग्रेगोरी एक प्रतिभाशाली छात्र थे जिन्होंने अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद राजनयिक पेशे का चयन किया तथा, सन् 1648 ई. में, वेनिस के राजदूत एलविस कोनतारीनी के साथ, जर्मनी के म्यून्स्टर शहर में, वेस्टफालिया के शान्ति समझौते हेतु सम्पन्न, सम्मेलन में भाग लिया था।

कुछ समय बाद राजनयिक पेशे का परित्याग कर ग्रेगोरी ने ईश्वर की सेवा में जीवन व्यतीत करने का मन बना लिया तथा इसके लिये अध्ययनरत हो गये। पुरोहिताभिषेक के बाद सन्त पापा एलेक्ज़ेनडर सप्तम ने उन्हें बेरगामो का धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया। बाद में, उन्हें कार्डिनल का सम्मानीय पद प्रदान किया गया तथा बेरगामो के साथ साथ पादुआ धर्मप्रान्त का कार्यभार भी सौंप दिया गया। कार्डिनल ग्रेगोरी ने विवेक और सूझ-बूझ के साथ इन धर्मप्रान्तों के काथलिक धर्मानुयायियों को मार्गदर्शन दिया। ट्रेन्ट की महासभा द्वारा प्रस्तावित कलीसियाई आदेशों एवं सुधारों को कार्यान्वित करने हेतु कार्डिनल ग्रेगोरी बारबारिगो ने अथक प्रयास किये। उनके प्रयासों के चलते ही बेरगामो एवं पादुआ धर्मप्रान्तों के गुरुकुल विकसित एवं विस्तृत हुए। पादुआ में उन्होंने एक पुस्तकालय एवं प्रिटिंग प्रेस की भी स्थापना की।

18 जून, सन् 1697 ई. को इटली के प्रतिभाशाली छात्र, राजनयिक एवं कार्डिनल ग्रेगोरी बारबारिगो का निधन हो गया। सन् 1771 ई. में कार्डिनल ग्रेगोरी बारबारिगो को धन्य घोषित किया गया था तथा 189 वर्षों बाद, 26 मई, सन् 1960 ई. को सन्त पापा जॉन 23 वें ने उन्हें सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। सन्त ग्रेगोरी बारबारिगो का पर्व 18 जून को मनाया जाता है।



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