वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
वाटिकन सिटी, 11 जून सन् 2012 (सेदोक): श्रोताओ, रविवार, 11 जून को, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः
"अति प्रिय भाइयो
एवं बहनो, आज, इटली तथा विश्व के अनेक देशों में, ख्रीस्त की देह महापर्व मनाया जा
रहा है, यह प्रभु ख्रीस्त के शरीर एवं उनके रक्त अर्थात् यूखारिस्त का महापर्व है। इस
उपलक्ष्य में, मार्गों एवं चौकों में पवित्र संस्कार सहित भव्य शोभायात्राओं का आयोजन
करने की परम्परा अभी भी बरकरार है। रोम में, धर्मप्रान्तीय स्तर पर, इस तरह की शोभा यात्रा
विगत गुरुवार को सम्पन्न हुई क्योंकि वही दिन प्रभु ख्रीस्त के रक्त एवं देह का महापर्व
है। यह महापर्व प्रति वर्ष ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों में, हमारे बीच, पवित्र यूखारिस्त
में, येसु की उपस्थिति के लिये, आनन्द एवं धन्यवाद के भावों को नवीकृत करता है।"
सन्त पापा ने आगे कहाः "कोरपुस दोमीनी अर्थात् प्रभु के रक्त एवं देह का महापर्व
यूखारिस्त की सार्वजनिक भक्ति का एक महान कृत्य है। यूखारिस्तीय संस्कार में, समारोही
समय के परे भी, प्रभु उपस्थित रहते हैं ताकि सदैव हमारे साथ रह सकें, हर घड़ी, हर दिन।
हम तक प्रसारित, यूखारिस्तीय धर्मविधि के प्राचीनतम साक्ष्यों में से एक है सन्त जस्टीन
का साक्ष्य जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि "उपस्थित जनों में परमप्रसाद के वितरण के
बाद, अभिमंत्रित रोटी याजकों द्वारा अनुपस्थित लोगों के लिये भी ले जाई जाती थी (दे.
अपोलोजिया, 1,65)। अस्तु, गिरजाघरों का पवित्रतम स्थल वही है जहाँ पवित्र यूखारिस्त को
सुरक्षित रखा जाता है।
इस बिन्दु पर मैं उन असंख्य गिरजाघरों को नहीं भुला सकता
हूँ जो इटली के इमिलिया रोमान्या प्रान्त में इन दिनों आये भूकम्प में क्षतिग्रस्त हो
गये हैं, यह गहन दुख का विषय है कि कुछेक गिरजाघरों के प्रकोष में सुरक्षित, प्रभु ख्रीस्त
की यूखारिस्तीय देह भी भूकम्प के मलबे में धँस गई है। स्नेहपूर्वक मैं उन समुदायों के
लिये विनती करता हूँ जिन्हें पवित्र ख्रीस्तयाग के लिये अपने पुरोहितों के साथ मैदानों
में अथवा तम्बुओं में एकत्र होना पड़ रहा है; उनके साक्ष्य के लिये तथा सम्पूर्ण जनता
के हित में अर्पित उनकी सेवाओं के लिये, मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। यह एक ऐसी स्थिति
है जो प्रभु में एकप्राण होने के महत्व को और अधिक प्रकाशित करती है, साथ ही यह "तीर्थयात्रियों
की रोटी" कही जानेवाली यूखारिस्तीय रोटी से मिलनेवाली शक्ति के महत्व को भी प्रकाशित
करती है। इस रोटी में सहभागिता से, जीवन एवं उसके संसाधनों में भागीदारी की क्षमता उत्पन्न
एवं नवीकृत होती, एक दूसरे के बोझ को ढोने, आतिथ्य प्रदान करने तथा स्वागत सत्कार करने
की क्षमता प्रस्फुटित एवं नवीकृत होती है।"
उन्होंने आगे कहाः "अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, "प्रभु के रक्त एवं देह का महापर्व हमारे समक्ष यूखारिस्तीय आराधना के
महत्व को भी पुनर्प्रस्तावित करता है। प्रभु सेवक सन्त पापा पौल षष्टम याद कराते थे कि
काथलिक कलीसिया यूखारिस्तीय भक्ति में विश्वास की अभिव्यक्ति करती है, उन्होंने कहा था,
"केवल ख्रीस्तयाग के समय ही नहीं बल्कि ख्रीस्तयाग समारोह के बाद भी, सचेतन ढंग से अभिमंत्रित
रोटी को सुरक्षित रख, ख्रीस्तीय विश्वासियों की भव्य आराधना अर्चनाओं के अवसर पर उसे
प्रस्तावित कर तथा हर्षोल्लासित ख्रीस्तीय जमसमुदाय की शोभायात्राओं में उसे ले जाकर
काथलिक कलीसिया यूखारिस्त में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करती है"( दे. मिस्तेरियुम
फीदेई, 57)। यूखारिस्तीय आराधना, प्रकोष के आगे घुटने टेककर व्यक्तिगत रूप से अथवा गीतों
एवं भजनों को गाकर सामुदायिक रूप से की जा सकती है तथापि, सब समय मौन को अत्यधिक महत्व
दिया जाना चाहिये ताकि संस्कार में विद्यमान प्रभु को आन्तरिक रूप से सुना जा सके।"
अन्त में सन्त पापा ने कहाः "पवित्र कुँवारी मरियम, इस प्रार्थना की भी परम शिक्षिका
हैं क्योंकि उनकी तरह किसी और ने विश्वास की दृष्टि से येसु पर मनन करना नहीं जाना और
न ही अपने दिल में प्रभु की मानवीय एवं दैवीय उपस्थिति को महसूस किया। मरियम की मध्यस्थता
से प्रत्येक कलीसियाई समुदाय में यूखारिस्त के रहस्य पर गहन विश्वास का प्रसार एवं विकास
हो।"
इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी भक्तों पर शान्ति का
आह्वान किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरान्त, सन्त
पापा ने विभिन्न भाषाओं में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर शुभकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी
भाषा में उन्होंने कहाः............ "आज की देवदूत प्रार्थना के लिये यहाँ उपस्थित सभी
अँग्रेज़ी भाषा भाषियों का मैं सस्नेह अभिवादन करता हूँ। आज मनाया जा रहा ख्रीस्त के
रक्त एवं देह का महापर्व अति पवित्र यूखारिस्त में प्रभु की उद्धारकारी उपस्थिति का समारोह
है। अन्तिम भोजन कक्ष में, क्रूस पर अपनी मृत्यु से पूर्व वाली रात को, येसु ने यूखारिस्तीय
संस्कार की स्थापना की ताकि वह ईश्वर एवं मानव के बीच नूतन एवं अनन्त संविदा बन जाये।
क्षमा और पुनर्मिलन का यह बलिदान कलीसिया को विश्वास, एकता एवं पवित्रता में सुदृढ़ करे।
आप पर तथा आपके परिजनों पर मैं आनन्द एवं शांति से परिपूर्ण प्रभु की आशीष की मंगलयाचना
करता हूँ।"