2012-06-04 17:52:38

तलाकशुदा दम्पति कलीसिया के बाहर नहीं


वाटिकन सिटी, 4 जून, 2012 (वीआईएस) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवे ने सातवें विश्व परिवार दिवस की अंतिम संध्या में 2 जून शनिवार को आयोजित सभा में विभिन्न परिवारों के प्रश्नों का जवाब दिया।

मडागास्कार की एक दम्पति के सवाल के जवाब में संत पापा ने कहा,"क्योंकि प्रेम हो जाना, एक भावना है इसलिये अनन्त नहीं है। प्रेम की भावना के शुद्धीकरण की ज़रूरत है। इसे चाहिये कि यह एक निर्णय की प्रक्रिया का हिस्सा बने जहाँ मन और इच्छा दोनों की भूमिका हो। विवाह संस्कार में कलीसिया विवाह बन्धन में बँधने वालों से यह सवाल नहीं करती है कि ‘क्या वे एक-दूसरे को प्रेम करने लगे हैं’? पर वह उनसे पूछती है कि ‘क्या उन्होंने शादी का निर्णय किया है’।"

संत पापा ने कहा, "दूसरे अर्थ में कलीसिया चाहती है कि प्रेमी प्यार हो जाने को सचमुच प्यार में बदलें जिसमें मन और इच्छा दोनों शामिल हो। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शुद्धता और गांभीर्य हो ताकि व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता, विवेकपूर्ण निर्णय और पूरी इच्छा शक्ति से यह कह सके ‘यह मेरा जीवन है’।"

एक ब्राजीलियन परिवार के जवाब में संत पापा ने तलाक के बारे में कहा, "तलाक के मामले में कलीसिया के पास आसान समाधान नहीं है जो कलीसिया के लिये दुःखदायी है। इसकी ‘रोकथाम’ ही इसका एक समाधान हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि ‘प्रेम होने’ के आरंभ से ही इस बात पर ध्यान देना कि अन्त में यह एक पक्का निर्णय में परिवर्तित हो।"

"तलाकशुदा लोगों के लिये कलीसिया इस बात को दुहराती है कि कलीसिया उन्हें प्यार करती है, वे कभी भी अकेले नहीं हैं पर यह ज़रूरी है कि वे कलीसिया के इस प्यार को देखें और अनुभव करें।"

"पल्लियों और काथलिक समुदायों को चाहिये कि वे हर संभव यह दिखलाने का प्रयास करें कि तलाकशुदा ‘स्वीकृत’ महसूस करें। कलीसिया ऐसा करे कि वे अपने को ‘बाहरी’ न समझें यद्यपि वे पूर्ण रूप से यूखरिस्त में सहभाग और पाप क्षमा नहीं प्राप्त कर सकते।"

संत पापा ने कहा, "तलाकशुदा दम्पति इस बात का गहरा अनुभव करें कि उनका दुःख भी कलीसिया के लिये एक वरदान है क्योंकि वे दूसरों को इस बात की मदद दे रहे हैं कि वे प्रेम और विवाह के स्थायित्व की रक्षा करें। उनका दुःख विश्वास जैसे मूल्यों की रक्षा के लिये हो।"













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