2012-05-30 12:34:51

संत पापा की धर्मशिक्षा
बुधवारीय-आमदर्शन समारोह में
30 मई, 2012


वाटिकन सिटी, 30 मई, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम ‘ख्रीस्तीय प्रार्थना’ विषय पर अपना चिन्तन जारी रखते हुए प्रेरित संत पौल द्वारा कुरिन्थियों के नाम लिखे गये दूसरे पत्र के अध्याय 1 के 19 और 20 पदों पर चिन्तन करें।
इसमें इस बात की चर्चा है कि प्रेरितों ने इस तथ्य को दृढ़तापूर्वक स्वीकार किया कि येसु, ईश्वर द्वारा स्वीकृत मसीहा और मानव जाति को की गयी तमाम प्रतिज्ञाओं की परिपूर्णता हैं। हम सब येसु के द्वारा ईश्वर की महिमा के लिये ‘आमेन’ कहते हैं।

प्रेरित संत पौल के लिये ‘प्रार्थना’ ईश्वर का वरदान है जिसका आधार है मानव जाति के लिये ईश्वर का अपार प्रेम। ईश्वर ने अपने एकमात्र पुत्र येसु और पवित्र आत्मा के वरदान देकर मानव जाति के प्रति अपने अगाध प्रेम का परिचय दिया।
पवित्र आत्मा जिसे हमारे ह्रदयों में उँडेला गया है वह हमारी मदद करता, येसु के पिता ईश्वर की स्वीकृति को प्रस्तुत करता ताकि हम ईश्वर पिता की ओर आगे बढ़ें और उन्हें हमेशा ‘आमेन’ या ‘हाँ’ कह सकें।
‘आमेन’ शब्द का प्रयोग इस्राएल की प्राचीन धर्मविधि प्रार्थना में की गयी जिसे आरंभिक कलीसिया ने भी अपनी प्रार्थनाओं में स्थान दिया ताकि वह ईशवचन और ईश्वरीय प्रतिज्ञाओं में अपने दृढ़ विश्वास को प्रकट कर सके।
प्रत्येक दिन की व्यक्तिगत और सामुहिक प्रार्थना की इसी स्वीकारोक्ति या ‘हाँ’ के द्वारा हम येसु का अपने पिता के प्रति आज्ञाकारिता में सहभागी होते हैं। इसके साथ ही पवित्र आत्मा के वरदान के द्वारा हम अपने जीवन को पूर्ण रूप से नया बनाने, बदलने और ईश्वर के साथ एक होने की शक्ति प्राप्त करते हैं।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने वियेतनाम के होचीमिन्ह सिटी के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जान बपतिस्त फाम मिन्ह माँ के नेतृत्व में रोम आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया और कास्तेल गंदोल्फो में चल रहे बौद्ध ईसाई संगोष्ठी के प्रतिनिधियों को शुभकामनायें दीं।
इसके बाद उन्होंने भारत, इंगलैंड, आयरलैंड, नोर्वे, जापान, इंडोनेशिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों पर प्रभु की कृपा तथा शांति की कामना करते हुए सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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