2012-05-28 14:43:29

स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना के पाठ से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 28 मई 2012 (सेदोक एशिया न्यूज)
श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 27 मई को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये लगभग 30 हजार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज हम पास्का जयंती काल के अंत में, पुनरूत्थान के बाद पचासवें दिन में, पेंतेकोस्त का महान पर्व मनाते हैं। यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि ऊपर कमरे में कुँवारी माता मरियम के साथ सब शिष्य प्रार्थना कर रहे थे तब पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ। पुर्नजीवित और स्वर्ग में आरोहित येसु पवित्र आत्मा को कलीसिया पर भेजते हैं ताकि सब ईसाई उनके दिव्य जीवन में सहभागी हो सकें और संसार के लिए प्रभावी साक्षी बनें। पवित्र आत्मा मानव इतिहास में प्रवेश करते हैं, सूखेपन को पराजित करते हैं, दिलों को आशा के लिए खोलते हैं तथा हमारे अंदर ईश्वर और पड़ोसी के साथ संबंध की आंतरिक प्रौढ़ता को संवेग प्रदान कर मजबूत करते हैं।
पवित्र आत्मा जिसने नबियों के द्वारा बोला ज्ञान और विज्ञान के उपहार द्वारा उन पुऱूषों और स्त्रियों को प्रेरणा प्रदान करते हैं जो ईश्वर, मानव और दुनिया के रहस्य की बेहतर समझ और जानकारी के लिए यथार्थ पथ का प्रस्ताव करते हैं और सत्य की खोज में लगे हैं। इस संदर्भ में मुझे यह उदघोषणा करते हुए खुशी है कि आगामी 7 अक्तूबर को धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के सामान्य सत्र की शुरुआत में मैं अविला के संत योहन और बिनगेन की संत हिल्देगार्ड को सार्वभौमिक कलीसिया के धर्माचार्य घोषित करूँगा। विश्वास के ये दो महान साक्षी मानव इतिहास की भिन्न अवधियों में जीवन जीये और भिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आये। हिल्देगार्ड बेनेडिक्टीन धर्मबहन थी जो मध्ययुग के उत्कर्ष काल में थी। वह ईशशास्त्र की सही शिक्षिका तथा प्राकृतिक विज्ञान और संगीत की विशेषज्ञ थीं। जोन, एक धर्मप्रांतीय पुरोहित थे जिन्होंने स्पेन के पुर्नजागरण काल की अवधि में, आधुनिकता के ऊषाकाल में कलीसिया और समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक नवीनीकरण के काम में भाग लिया। लेकिन जीवन की पवित्रता तथा शिक्षा की गहराई उन्हें हमेशा उपस्थिति करती है। पवित्र आत्मा की कृपा, वस्तुतः उन्हें दिव्य प्रकाशना की समझ में प्रवेश करने के अनुभव में समर्थ बनाने के साथ ही विश्व के साथ बुद्धिमतापूर्ण संवाद करने की क्षमता द्वारा कलीसिया के कार्यों और स्थायी जीवन के क्षितिज का निर्माण करती है।
विशेष रूप से नया सुसमाचार प्रसार की योजना के प्रकाश में जिसे, धर्माध्यक्षों की धर्मसभा को समर्पित की जाएगी और विश्वास के वर्ष के आरम्भ होने की पूर्व बेला में इन दो महान संतों और धर्माचार्यों की शिक्षा का बहुत महत्व और सार्थकता है। हमारे युग में उनकी शिक्षा के द्वारा, पुर्नजीवित प्रभु की आत्मा अपनी पुकार को प्रतिध्वनित करना जारी रखे और एकमात्र सत्य की ओर ले चलने वाले उन रास्तों को आलोकित करते हैं जो हमें स्वतंत्र कर हमारे जीवन को पूर्ण अर्थ दे सकता है।
इस वर्ष अंतिम बार स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का एक साथ पाठ करते हुए हम कुँवारी माता मरियम की मध्यस्थता की याचना करते हैं ताकि वे कलीसिया के लिए यह कृपा प्राप्त करें कि वह पवित्र आत्मा से शक्तिशाली रूप से अनुप्राणित होकर ख्रीस्त के सुसमाचार का साक्ष्य साहसपूर्वक तथा सत्य के प्रति और अधिक खुलेपन के साथ दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।


तदोपरांत संत पापा ने कहा - अतिप्रिय भाईयो और बहनो, इस सुबह फ्रांस के वाननेस में मदर सेंट लुईस, जिनका बचपन का नाम एलिजाबेथ लईसे मोल था वे सिस्टर्स ओफ चारिटी ओफ सेंट लुईस धर्मसमाज की संस्थापिका थी। उन्होंने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के मध्य जीवन जीया वे आज धन्य घोषित की गयीं। ईश्वर और पड़ोसी के प्रति प्रेम का आदशपूर्ण साक्ष्य देने के इस उदाहरण के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद दें।

अगले शुक्रवार पहली जून को मैं इटली के मिलान शहर की यात्रा करूँगा जहाँ परिवारों का 7 वाँ विश्व सम्मेलन सम्पन्न होगा। मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ कि इस समारोह को अपने ध्यान में रखें तथा इसकी सफलता के लिए प्रार्थना करें।








All the contents on this site are copyrighted ©.