2012-05-25 09:18:43

प्रेरक मोतीः सन्त मरिया मग्दलेना दे पात्स्सी (1566-1607)
(25 मई)


वाटिकन सिटी, 25 मई सन् 2012:

इटली के फ्लोरेन्स शहर के एक कुलीन परिवार में मरिया मग्लेना दे पात्स्सी का जन्म, 2 अप्रैल, सन् 1566 ई. को हुआ था। बपतिस्मा के समय उन्हें कैथरीन नाम दिया गया था किन्तु जब उन्होंने कारमेल मठ में प्रवेश किया तब उनका नाम मरिया मग्दलेना दे पात्स्सी हो गया।

बताया जाता है कि मरिया मग्दलेना प्रभु ईश्वर के वरदानों से परिपूर्ण थीं तथा प्रायः दिव्य दर्शन पाया करती थीं। 12 वर्ष की उम्र में ही, सूर्यास्त के समय सान्ध्य वन्दना करते समय, पहली बार वे आनन्दतिरेक हो कर भाव समाधि में प्रवेश कर गई थी तथा लम्बे समय तक इसी स्थिति में बनी रही। इसके बाद कई अवसरों पर वे भाव समाधि में चली जाया करती थीं तथा घण्टों उसी स्थिति में बनी रहती थीँ। कारमेल मठवासी और रहस्यवादी, मरिया मग्दलेना, अपना अधिकांश समय प्रार्थना और मनन चिन्तन में व्यतीत किया करती थीं।

प्रार्थना के साथ साथ वे किशोरियों को धर्मशिक्षा प्रदान करने तथा ज़रूरतमन्द महिलाओं की सहायता का भी कार्य किया करती थीं। उनसे प्रभावित होकर अनेक किशोरियों ने बाद में समर्पित जीवन का चयन कर लिया था। मरिया मग्दलेना का स्वास्थ्य बहुत कमज़ोर था किन्तु उन्होंने अपनी पीड़ाओं को प्रभु के प्रति अर्पित कर दिया था, इसी में वे परमान्नद का अनुभव पाया करती थीं जिससे उन्हें जीवन पथ पर अग्रसर होने की शक्ति मिलती रही। उनके जीवन का अन्तिम चरण भी रोगावस्था में ही बीता। तीन वर्षों तक शैया पर पड़ी वे अकथनीय पीड़ा सहती रहीं जिसके उपरान्त 25 मई, सन् 1607 ई. को उनका निधन हो गया। सन् 1626 ई. में मरिया मग्दलेना दे पात्स्सी को धन्य तथा 1669 ई. में सन्त घोषित कर, काथलिक कलीसिया में, वेदी का सम्मान प्रदान किया गया था। उनका पर्व 27 मई को मनाया जाता है।


चिन्तनः प्रार्थना एवं मनन चिन्तन द्वारा हम भी जीवन की कठिनाइयों को सहने का सम्बल प्राप्त करें तथा पीड़ाओं को प्रभु के प्रति अर्पित कर अपना जीवन साकार करें।








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