काहिराः इस्लामिक-ख्रीस्तीय हिंसा के लिये 12 ख्रीस्तीयों को उम्र क़ैद, 08 मुसलमान बरी
काहिरा, 23 मई सन् 2012 (एशियान्यूज़): मिस्र के मिन्या प्रान्त में विगत वर्ष हुई इस्लामी-ख्रीस्तीय
हिंसा में, मिस्र की एक अदालत ने 12 कॉप्टिक ख्रीस्तीयों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई
जबकि आठ मुसलमानों को बरी कर दिया। मिस्र के मानवाधिकार संगठनों तथा कानूनी विशेषज्ञों
ने अदालत के फैसले को पक्षपातपूर्ण बताकर इसकी कड़ी आलोचना की है।
मिस्र के विधि
विशेषज्ञ और शोधकर्ता, ईसाक इब्राहीम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आठ मुसलमानों का बरी
किया जाना साफ़ दर्शाता है कि अटार्नी जेनरल द्वारा की गई जाँच आरम्भ से ही पक्षपातपूर्ण,
अनुचित एवं ग़लत रही है क्योंकि इस बात के स्पष्ट सबूत थे कि मुसलमानों ने ख्रीस्तीयों
की सम्पत्तियों को आग के हवाले कर दिया था।
अभियुक्त ख्रीस्तीयों पर जन जीवन
में अस्त-व्यस्तता को उकसाने, अवैध हथियार रखने तथा दो मुसलमानों की हत्या करने के आरोप
लगाये गये हैं।
घटना अप्रैल 2011 की है जिसके बाद से मिस्र के मिन्या प्रान्त
में मुसलमानों एवं ख्रीस्तीयों के बीच अनवरत तनाव बने हुए हैं। हिंसा तब भड़की थी जब
एक मुसलमान बस ड्राईवर का एक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी से झगड़ा हो गया था। ड्राईवर ने घर
पहुँच कर, इस्लामी चरमपंथियों के दल सहित, अपने गाँव के मुसलमानों को एकत्र किया और ख्रीस्तीयों
के गाँव को आग के हवाले कर दिया। प्रतिशोध की इस कार्रवाई में दो मुसलमानों की मृत्यु
हो गई थी।
राज्य सुरक्षा न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा दिये गये उक्त फैसले
पर अपील नहीं की जा सकती है केवल मिस्र की सैन्य परिषद नये सिरे से मुकद्दमें की मांग
कर सकती है।