2012-05-21 10:45:32

प्रेरक मोतीः सन्त यूजीन दे माज़नोद (1782-1861)
(21 मई)


चार्ल्स जोसफ यूजीन दे माज़नोद का जन्म, फ्राँस के एक्स-ओँय प्रॉवोन्स में, 01 अगस्त, सन् 1782 ई. को हुआ था। अपने जीवन के आरम्भिक काल में उन्होंने फ्राँसिसी क्रान्ति के उथल पुथल का अनुभव पाया था किन्तु इसके बावजूद वे गुरुकुल में भर्ती हो गये तथा पुरोहिताभिषेक की तैयारी हेतु अध्ययन में लग गये। पुरोहिताभिषेक के बाद यूजीन को फ्राँस के एक्स-ओँय प्रॉवोन्स शहर के आस पास के क्षेत्रों में भेज दिया गया जहाँ उन्होंने अपनी प्रेरिताई को निर्धनों में निर्धनतम पर केन्द्रित रखा। अनेक युवा उनकी इस प्रेरिताई से जुड़ गये जिनके लिये पुरोहित यूजीन ने एक धर्मसंघ की स्थापना कर डाली। यही धर्मसंघ आज प्रॉवोन्स के मिशनरी नाम से जाना जाता है। प्रॉवोन्स में अपने मिशनरी कार्यों को अन्जाम देने के उपरान्त फादर यूजीन को मारसेल का धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया जहाँ उन्होंने कई गिरजाघरों एवं पल्लियों का निर्माण करवाया, पुरोहित आश्रमों की स्थापना की और साथ ही युवाओं को धर्मशिक्षा प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण केन्द्र खोले। बाद में उन्होंने निष्कलंक माँ मरियम को समर्पित ओबलेट ऑफ मेरी इमाक्यूलेट धर्मसंघ की स्थापना की जिसने विश्व के पाँचों महाद्वीपों में अपने मिशन केन्द्र खोले। सन्त पापा पियुस 11 वें कहा करते थे कि "ओबलेट मिशनरी कठिन प्रेरिताई के विशेषज्ञ हैं।"

सुसमाचार प्रचार तथा निर्धनों के प्रति समर्पित प्रेरिताई के उपरान्त 21 मई सन् 1861 को यूजीन का निधन हो गया। सन् 1975 में सन्त पापा पौल षष्टम ने धर्माध्यक्ष यूजीन दे माज़ेनोद धन्य घोषित किया था तथा सन् 1995 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें सन्त घोषित कर काथलिक कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान किया गया था। सन्त यूजीन दे माज़नोद का पर्व 21 मई को मनाया जाता है। उन्हें टूटते परिवारों का संरक्षक सन्त माना जाता है।

चिन्तनः निर्धनों की सेवा में हम सुख शान्ति की खोज करें तथा सन्त यूजीन से प्रार्थना कर अपने परिवारों की नींव को मज़बूत बनायें।









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