बुधवारीय-आमदर्शन समारोह में संत पापा की धर्मशिक्षा 16 मई, 2012
वाटिकन सिटी, 16 मई, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा
बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों
तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में
कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ख्रीस्तीय प्रार्थना
विषय पर अपना चिन्तन जारी रखते हुए हम प्रेरित संत पौल के पत्रों में वर्णित पत्रों पर
चिन्तन करें। संत पौल के पत्र में उनकी व्यक्तिगत प्रार्थना के विभिन्न रूपों का
आभास मिलता है। संत पौल ने अपने पत्र में जिन प्रार्थनाओं का प्रयोग किया है वे हैं -
धन्यवादी प्रार्थनायें, महिमा, याचना और निवेदन की प्रार्थनायें। संत पौल के लिये
प्रार्थना हमारे ह्रदयों में पवित्र आत्मा का कार्य और ईश्वरीय उपस्थिति का फल है। पवित्र
आत्मा हमारी कमजोरियों में हमें बचाने आता है और हमें पुत्र येसु के द्वारा पिता से प्रार्थना
करना सिखाता है। रोमियों को लिखे पत्र के आठवें अध्यायाय में प्रेरित पौल हमें बतलाते
हैं कि पवित्र आत्मा हमारे लिये सदा निवेदन करते रहते हैं येसु में एकत्रित करता और हमें
शक्ति प्रदान करता ताकि हम पिता ईश्वर को पिता कह सकें। हमारी प्रार्थना में पवित्र
आत्मा हमें ईश्वर की संतान होने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। वह हमें आशा और वह शक्ति
प्रदान करता है ताकि हम अपनी परीक्षा और क्लेश के समय में ईश्वर के प्रति वफ़ादार रह
सकें और दूसरों तथा पूरी दुनिया बरसने वाली ईश्वर की कृपाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित
कर सकें। संत पौल के साथ हम भी अपने ह्रदय को पवित्र आत्मा की उपस्थिति में लायें
ताकि वह हमें तृत्वमय ईश्वर के साथ प्रेम में एक कर दे। इतना कहकर संत पापा ने अपनी
धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने कारितास इंटरनैशनालिस के अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्कर
रोड्रिग्वेज़ मरादियागा और उसके इसकी कार्यकारिणी समिति के सदस्यों का आभिवादन किया ।
संत पापा ने कारितास के कार्यों के लिये उनके प्रति आभार व्यक्त किया और प्रोत्साहन तथा
शुभकामनायें देते हुए कहा कि आनेवाले दिनों में नयी कार्यकारिणी ज़रूरतमंदों की सेवा
बखूबी कर पायेगी।
इसके बाद उन्होंने भारत, इंडोनेशिया, जापान, कनाडा, फिलीपींस,
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों
पर पुनर्जीवित प्रभु की कृपा तथा शांति की कामना करते हुए सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।