वाशिंगटन, 11 मई, 2012 (ज़ेनित) अमेरिका के धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल
तिमोथी दोलन ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के पुनर्परिभाषित विवाह का समर्थन करने
के प्रति अपनी चिंता जाहिर की है।
कार्डिनल दोलन ने कहा, "हमारा देश - विशेष
करके बच्चे इसके ज़्यादा हक़दार हैं। पर दुर्भाग्यवश राष्ट्रपति ओबामा के शब्द चकित करने
वाले नहीं हैं क्योंकि ओबामा प्रशासन ने पहले कुछ ऐसे निर्णय लिये हैं जो विवाह के विशेष
अर्थ को नज़रअंदाज़ करते है।"
विदित हो क बुधवार को ओबामा ने एबीसी समाचार द्वारा
इस बात की घोषणा की कि समलिंगी विवाह बँधन में बँध सकते हैं।
धर्माध्यक्ष ने
कहा, "मैं राष्ट्रपति महोदय के लिये रोज प्रार्थना करता हूँ और प्रार्थना करना जारी रखूँगा
ताकि उनका प्रशासन न्यायपूर्वक कार्य करते हुए विवाह को बचाये ताकि एक युवक और युवती
ही विवाह बंधन में बँधें।
विदित कि राष्ट्रपति ओबामा का वक्तव्य ऐसे समय में
सामने आया है जब उत्तरी करोलिना के वोट दाताओं ने संविधान संशोधन पास किया है जिसमें
उन्होंने स्पष्ट बहुमत से इस बात को पारित किया है कि विवाह सिर्फ़ एक युवक और युवती
के बीच ही संभव हो सकती है। यह भी ज्ञात हो कि करोलिना अमेरिका का 30 राज्य है जिसने
ऐसा नियम पारित किया है।
एन. सी. स्टेट बॉर्ड ऑफ एलेक्शन के अनुसार 61 फीसदी लोगों
संशोधन के पक्ष में और 37 फीसदी लोगों ने इसके विरुद्ध में।
कार्डिनल ने कहा
कि संशोधन के पक्ष में मिले वोट इस बात के परिचायक है कि आम लोगों को इस बात पर विश्वास
है कि विवाह की एक विशेष भूमिका है जिसके द्वारा नर-नारी समाज के हित के लिये कार्य करते
हैं।
ओकलैंड के धर्माध्यक्ष साल्वातोरे कोरदिलियोने ने कहा, राष्ट्रपति ओबामा
के वक्तव्य के बावजूद हम इस बात की आशा करते हैं कि राष्टपति विवाह की महत्वपूर्ण भूमिका
को उचित महत्व देंगे।
उन्होंने कहा, विवाह एक दलसंबंधी मुद्दा नहीं है पर न्याय
और समानता का मुद्दा है जिसमें प्रत्येक बच्चे को इस बात का अधिकार है कि वह अपने माता-पिता
के द्वारा स्वागत पाये और वे उसकी परवरिश करें।