वाटिकन सिटी 10 मई 2012 (सीएनए) याजकों के धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल माउरो पियाचेंसा
ने कहा कि संतों का जीवन संसार में विश्वास का प्रसार करने के सबसे प्रभावी तरीकों में
से एक है। क्रिश्चियन इनिसियेशन एंड द न्यू इवांजेलाईजेशन शीर्षक से धर्मशिक्षा पर आयोजित
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उदघाटन ख्रीस्तयाग के दौरान 8 मई को प्रवचन करते हुए उन्होंने
उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि धर्मशिक्षा का काम धार्मिक निरक्षरता को दूर करना,
ईश्वर ने हमें जो कहा है उसे सिखाना है तथापि अंतहीन पद्धतिपूर्ण सवालों मेथडोलोजिकल
क्वेशचंस से अपंग न हो जायें। इन सवालों पर संतों ने पूरी तरह विजय पायी है जो अपनी सरलता
तथा जीवन से सबसे अधिक प्रभावी जीवंत धर्मशिक्षा हैं जिन्हें ईश्वर ने स्वयं अपनी प्रजा
को दिया है। कार्डिनल पियाचेंसा ने संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा घोषित विश्वास
के वर्ष का भी संदर्भ दिया जो इस साल अक्तूबर माह में आरम्भ होगा। यह समय वाटिकन द्वितीय
महासभा के आरम्भ होने की 50 वीं वर्षगाँठ और काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा के घोषणा की
20 वीं वर्षगाँठ का भी संयोग है। कार्डिनल पियाचेंसा ने कहा कि ईश्वर की कृपा से प्रोत्साहन
पाकर नवीन सुसमाचार प्रसार के काम को बढ़ावा देने के लिए धर्मशिक्षा के काम में विश्वासियों
के स्वतंत्र सहयोग की भी जरूरत है। हम यह भी स्वीकार करें कि अपर्याप्त धर्मशिक्षा और
अक्षम प्रशिक्षण के कारण कलीसिया के अंदर और बाहर नैतिक जीवन बहुत कमजोर हो गया है।