विश्व भर में धार्मिक अत्याचार के खिलाफ अमरीकी नेताओं का आह्वान
वाशिंगटन डी सी 9 मई 2012 सीएनए) मानवाधिकार समर्थकों ने अमरीकी सरकार से कड़ी विदेश
नीति बनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि विश्व भर में विभिन्न देशों में हो रहे हिंसक
झड़पों की धार्मिक प्रकृति की पहचान करने में वह पिछड़ रही है। विश्व भर में उत्पीड़न
के शिकार होनेवाले ईसाईयों की सेवा के लिए काम करनेवाले ओपन डोरस यूएसए नामक संगठन के
मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा अध्यक्ष कार्ल मोलर ने 3 मई को वाशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस
कल्ब में धार्मिक उत्पीड़न पर चर्चा करते हुए कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होनेवाले
अत्याचारों की हम अनदेखी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने हाल ही में सम्पन्न पीउ रिसर्च अध्ययन
का हवाला देते हुए कहा कि विश्व की 70 प्रतिशत आबादी ऐसे क्षेत्र में जीवन यापन कर रही
है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता की कमी है। धर्म के नाम पर किये जानेवाले अत्याचार भयंकर
तथा विश्व की कई मिलियन आबादी के लिए मृत्यु समान सच्चाई है। विश्व के विभिन्न भागों
में ईसाईयों को निशाना बनाया जाता है वे अकल्पनीय कठिनाईयों का सामना करते हैं। इराक
जैसी जगह में अत्याचार इतना भयंकर है कि इसे धर्म का उन्मूलन के रूप में विचार किया जा
सकता है, ईसाई समुदाय को हिंसा और भय के द्वारा चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जा रहा
है। यह लघु अभियान नहीं है तथा केवल मध्य पूर्व में ही नहीं विश्व के विभिन्न भागों में
धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी लगायी जा रही है। इराक, नाईजीरिया सहित विश्व के विभिन्न
भागों में अल्पसंख्यक समुदायों को उत्पीड़न और समाज के हाशिये पर होने की स्थिति का सामना
करना पड़ रहा है। विचार गोष्ठी को इंटरफेथ अफेयर्स फोर द सिमोन विसेनथाल सेन्टर के
निदेशक रब्बी यितजोक अडलेरस्टाईन, हडसन इंस्टीच्टूट सेन्टर फोर रेलिजियस फ्रीडम इन वाशिंगटन
डी सी की निदेशक नीना शेया ने भी सम्बोधित किया। वक्ताओं के अनुसार जो लोग स्वतंत्रता
के पक्षधर हैं वे सुनिश्चित करें कि विदेशों में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के मुद्दे
को देश की विदेश नीति में प्राथमिकता मिले।