2012-05-07 15:46:28

स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 7 मई 2012 सेदोक एशिया न्यूज संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 6 मई को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

पास्काकाल के पांचवे रविवार को आज के सुसमाचार पाठ में हमारे सामने दाखबारी की छवि प्रस्तुत की गयी है। (योहन 15. 1-8) येसु अपने शिष्यों से कहते हैं- मैं सच्ची दाखलता हूँ और मेरा पिता बागवान है। हम बहुधा बाइबिल में देखते हैं- इस्राएल की तुलना फल देनेवाले दाखबारी से की गयी है जब यह ईश्वर से संयुक्त है जैसा कि स्तोत्र ग्रंथ में लिखा है- दाखलता, जो मानव के दिल को आनंदित करती है लेकिन यदि आप स्वयं को ईश्वर से दूर करते हैं तो फलहीन, अनुत्पादक बन जाते हैं।

येसु ईश्वर की सच्ची दाखलता हैं। उन्होंने अपने प्रेम बलिदान द्वारा हमें मुक्ति दिलायी और अपनी दाखबारी का अंग होने के लिए रास्ता खोला। और जैसा कि येसु पिता ईश्वर में हैं उसी प्रकार शिष्यगण, प्रभु के वचन द्वारा सावधानीपूर्वक पोषित होकर, यदि वे उनके साथ गहन रूप से जुड़े हैं तो फलदायी दाखलता बनते हैं, जो बहुतायत में फल उत्पन्न करती है।
संत फ्रांसिस द सेल्स लिखते हैं- टहनी या डाली जो धड़ से जुड़ी रहती है और अपने स्वयं से फल उत्पन्न नहीं करती है लेकिन कलम होने के सदगुण द्वारा हम भी हमारे मुक्तिदाता के प्रेम द्वारा, शीर्ष से जोड़े गये हैं इसलिए भले कार्य उनसे मूल्य प्राप्त कर, अनन्त जीवन मिलना चाहिए।
बपतिस्मा के दिन कलीसिया हमें ख्रीस्त के व्यक्तित्व में, उनके पास्काई रहस्य में जोड़कर टहनी के समान कलम करती है। इस जड़ से हम उनके दिव्य जीवन में सहभागी होने के लिए बहुमूल्य जीवन रक्त पाते हैं। शिष्य के रूप में, कलीसिया के मेषपालों की सहायता से हम प्रभु के प्रेम में बंधकर उनकी दाखबारी में बढ़ सकते हैं। आप येसु से जुड़े रहें, उनपर आश्रित रहें क्योंकि उनके बिना हम कुछ नहीं कर सकते हैं। पाँचवी सदी में गाजा की मरूभूमि में रहनेवाले नबी योहन से एक विश्वासी ने यही सवाल पूछा था- यह कैसे संभव है कि मानव की स्वतंत्रता को बनाये रखा जा सकता है और ईश्वर के बिना कुछ नहीं किया जा सकता है ? उन्होंने जवाब दिया था- यदि इंसान अपने दिल को भले की ओर झुकाये तथा ईश्वर से सहायता माँगे तो वह उस काम को पूरा करने के लिए जरूरी शक्ति प्राप्त करता है। इसलिए मानव की स्वतंत्रता तथा ईश्वर की शक्ति साथ-साथ चलते हैं। यह संभव है क्योंकि प्रभु भले हैं तथा ख्रीस्त के साथ यथार्थ रूप से संयुक्त रहकर निष्ठापूर्वक कार्य सम्पन्न किया जाता है।
प्रिय मित्रो, हम में से प्रत्येक जन दाखलता के समान है जो जीवित रहता है यदि वह प्रतिदिन प्रार्थना करता, संस्कारों को ग्रहण करता, उदारता में तथा येसु के साथ जुड़े रहकर बढ़ता है। और जो येसु, सच्ची दाखलता को प्यार करता है, वह विश्वास के फल तथा बहुतायत में आत्मिक फल उत्पन्न करता है। हम ईश्वर की माता से याचना करें क्योंकि हम गहरे रूप से येसु में रोपे गये हैं और प्रतिदिन उनमें हमारा आरम्भ और परिपूर्णता है।

इतना कहकर संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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