संत पापा ने इथियोपिया, मलेशिया, आयरलैंड, फिजी और अरमेनिया के नये राजदूतों का प्रत्यय
पत्र स्वीकारा
वाटिकन सिटी 4 मई 2012 (सेदोक, वी आर वर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन के
लिए नियुक्त इथियोपिया, मलेशिया, आयरलैंड, फिजी और अरमेनिया के नये राजदूतों का प्रत्यय
पत्र 4 मई को स्वीकार किया। नये राजदूतों को फ्रेंच भाषा में सामूहिक रूप से सम्बोधित
करते हुए संत पापा ने वर्तमान संकट के भौतिक और आध्यात्मिक कारणों पर अपना विचार केन्द्रित
रखा। उन्होंने कहा कि जन सम्प्रेषण के विकास ने हमारे ग्रह को छोटा बना दिया है। विश्व
भर में हो रही घटनाओं की जानकारी हमें पल भर में मिल जाती है उसी प्रकार लोगों की जरूरतों
के प्रति सचेत रहकर उनका प्रत्युत्तर देना तथा उनकी खुशी और कठिनाईयों में समीप होना
जरूरी पुकार है। विश्व भर में गरीबी और दयनीय अवस्था के कारण उत्पन्न महान पीड़ा की सच्चाई
भौतिक और आध्यात्मिक दोनों है। यह मानव जाति और पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न करती है
उनका जवाब न्याय और सह्दयता के तहत दिया जाये। यह स्थिति एक नये प्रकार के प्रत्युत्तर
देने के लिए उत्साहित करती है।
संत पापा ने कहा कि शहरी पलायन, सशस्त्र संघर्ष,
अकाल और सूखा जो अनेक लोगों को प्रभावित करता है इससे गरीबी ने नया स्वरूप धारण कर लिया
है। वैश्विक आर्थिक संकट ने अनेक परिवारों के सामने बहुत नाजुक परिस्थिति उत्पन्न कर
दिया है। उत्पादन और जरूरतों में वृद्धि ने लोगों को असीमित आनन्द और उपभोग की संभावना
पर विश्वास कराया लेकिन इन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होने से लोगों में हताशा की भावना
बढ़ रही है। वंचित किये जाने के कारण अकेलापन बढ़ रहा है और जहाँ सम्पन्नता के साथ ही
साथ निर्धनता का सहअस्तित्व है तो यह स्थिति विद्रोह का स्रोत बन सकती है। इसलिए सरकार
यह सुनिश्चित करें कि सामाजिक विधान असमानता को बढ़ावा नहीं दे तथा लोगों को मर्यादापूर्ण
जीवन जीने के लिए सक्षम बनायें।
संत पापा ने कहा कि हर देश विकास की कामना करता
है तथा उसे न केवल आर्थिक विकास लेकिन व्यक्ति के समग्र विकास के प्रति चिंतित होना चाहिए।
सामाजिक राजनैतिक सच्चाई के तहत मानव समुदाय की नींव को मजबूत करने के लिए एक अन्य प्रकार
की निर्धनता पर ध्यान दें जो आध्यात्मिक मूल्यों और ईश्वर का संदर्भ नहीं देती है। यह
खालीपन भलाई और बुराई के मध्य निर्णय करने तथा सामान्य हित के लिए स्व हित का त्याग करना
और अधिक कठिन बना देता है। उन्होंने कहा कि चिंतन और आलोचना के जरूरी प्रयासों के बिना
प्रचलित आदर्शों का पालन करना सहज है। आदर्शों की खोज कर रहे अनेक युवा कृत्रिम स्वर्ग
की ओर मुड़ते हैं और उनका विनाश हो जाता है। नशापान, उपभोक्तावाद और भौतिकवाद मानव के
दिल को नहीं भरते हैं जिसकी सृष्टि अनन्तकाल के लिए हुई है। संत पापा ने कहा कि सबसे
बडी निर्धनता प्रेम की कमी है। पीड़ा के समय सहानुभूति और निःस्वार्थ भाव से सुनना बहुत
सुखद है।
संत पापा ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि देश के विकास में योगदान
देनेवाली अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रसार करें ताकि हर व्यक्ति अपने अस्तित्व
के मूल की पुर्नखोज कर सके। धर्म हमें सहायता करती है ताकि दूसरे व्यक्ति में हम मानवजाति
को देख सकें। उन्होंने कहा कि ईश्वर के प्रति खुलापन हमें भाईयों और बहनों के प्रति खुला
रहने तथा जीवन के बारे में समझ का विकास करने के लिए सहायता करता है।