2012-04-26 17:13:21

विश्व मलेरिया दिवस झारखंड में मलेरिया रोकथाम के लिए सफल अभियान


झारखंड भारत 26 अप्रैल 2012 (फीदेस) 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। मलेरिया बीमारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सन 2011 की रिपोर्ट के अनुसार सन 2010 में विश्व भर में मलेरिया के 216 मिलियन मामले दर्ज किये गये जिन्में 6 लाख 55 हजार मरे और इन्में से अधिकाँश बच्चे अफ्रीका में रहने वाले थे। यहाँ इस बीमारी के कारण हर मिनट एक बच्चे की मौत हो जाती है जो 22 फीसदी नवजात मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। तीन वर्ष पूर्व भारत के झारखंड राज्य के कुछ नगरपालिका क्षेत्रों में मलेरिया बीमारी के कारण होनेवाली मौत की दर काफी उच्च थी तथा कुछ क्षेत्रों में यह जनसंख्या के काफी बडी आबादी को प्रभावित करती थी। मलेरिया बीमारी के लगातार हमलों के कारण कुछ निवासी बारम्बार प्रभावित होते थे और क्षेत्र तथा देश की नाजुक अर्थव्यवस्था को भी यह हानि पहुँचाती थी। मरीजों को बहुधा अपना धन चिकित्सा सहायता पाने के लिए खर्च करना पड़ता था तथा वे कोई भी काम करने के लिए विवश होते थए और इस तरह परिवार तथा समुदाय पर एक प्रकार से बोझ बन जाते थे।

दुमका सोशल एंड एजुकेशनल सोसायटी ने 1978 से ही कार्यरत काथलिक संगठन स्पानिस मानोस यूनिदास के साथ सहयोग कर मलेरिया बीमारी से बचाव और रोकथाम, स्वास्थ्य जागरूकता और सेल्फ हेल्प समूहों की सहायता के लिए कई पहल किये हैं।

दुमका पाकुड़ और साहेबगंज जिले के 36 गाँवों में दुमका सोशल एंड एजुकेशनल सोसायटी द्वारा मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है जिससे अनेक समुदायों को लाभ मिला है। तीन वर्षीय प्रोजेक्ट के द्वारा 15 से हजार से अधिक लोग, विशेष रूप से संथाल जनजाति और माल्ट पहारिया जनजाति के लोगों को लाभ हुआ है।

स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शुरू में ही बीमारी की पहचान और रोकथाम के महत्व पर जोर देने के लिए नुक्कड नाटकों, परिचर्चाओं और प्रदर्शनों के द्वारा चिकित्सा सेवाकर्मियों और चुने हुए प्रशिक्षित नेताओं को प्रशिक्षित किया गया है। तीन वर्ष के स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के बाद उक्त 36 गाँवों में मलेरिया बीमारी के कारण होनेवाली मौत की घटनाओं में कमी आयी है।








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