2012-04-25 12:39:15

रोमः कारितास ने सूडान एवं दक्षणी सूडान से युद्ध में न पड़ने का किया आग्रह


रोम, 25 अप्रैल सन् 2012 (ज़ेनित): काथलिक कलीसिया के अन्तररराष्ट्रीय लोकोपकारी और उदारता संगठन कारितास ने सूडान तथा दक्षिणी सूडान से आग्रह किया कि वे सैन्य आक्रमणों और युद्ध के प्रलोभन में न पड़ें।

विगत जुलाई माह में, एक जनमत संग्रह के बाद, दक्षिणी सूडान, सूडान से स्वतंत्र हुआ था। दशकों के गृहयुद्ध के बाद सन् 2005 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे उसी के बाद जनमत संग्रह कर दक्षिणी सूडान स्वतंत्र हुआ था।

तथापि, कई क्षेत्रों में सीमा निर्धारण तथा कच्चे तेल के अधिकार को लेकर विवाद अभी भी बने हुए हैं।

23 अप्रैल को एक विज्ञप्ति जारी कर, कारितास संगठन ने इस बात पर गहन चिन्ता व्यक्त की कि "इन मुद्दों पर हाल के झगड़ों ने दोनों देशों को युद्ध की कगार पर ला दिया है।"

विज्ञप्ति में कहा गया, "सूडान में ख्रीस्तीयों पर आक्रमण, विशेष रूप से, शनिवार को खारतूम के एवेन्जेलिकल चर्च पर हुआ हमला घोर चिन्ता का विषय है।"

दक्षिणी सूडान की आबादी लगभग पाँच लाख है जो अधिकांश ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं।

कारितास के महासचिव माईकिल रॉय ने कहा, "कारितस सूडान तथा दक्षिणी सूडान से भी अपील करता है कि वे सीमा पर सैन्य आक्रमणों को बन्द करें। दोनों देशों की सरकारों के लिये अब भी देर नहीं हुई है, अभी भी युद्ध को रोका जा सकता है।" उन्होंने कहा, "केवल वार्ताओं के पुनर्राम्भ तथा शांति समझौते को पूर्णतः लागू कर ही शांति उपलब्ध की जा सकती है।"

कारितास के महासचिव ने कहा कि अन्तररराष्ट्रीय समुदाय को भी अपनी वचनबद्धता के अनुकूल शांति स्थापना हेतु सूडान एवं दक्षिणी सूडान की मदद करनी चाहिये।

उन्होंने कहा, "पिछले युद्ध में बीस लाख लोग मारे गये थे और अब यदि एक और युद्ध हुआ तो इससे सभी की क्षति होगी।" उन्होंने कहा, "हमारा विश्वास है कि सूडान तथा दक्षिणी सूडान के सभी लोग शांति चाहते हैं। उनकी सरकारों एवं अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने युद्ध को समाप्त कर महान उपलब्धि हासिल की थी जिसे गँवाया नहीं जाना चाहिये।"








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