बुधवारीय-आमदर्शन समारोह में संत पापा की धर्मशिक्षा 25 अप्रैल, 2012
वाटिकन सिटी, 25 अप्रैल, 2012(सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत
पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी
भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम ख्रीस्तीय
प्रार्थना विषय पर अपना चिन्तन जारी रखते हुए उस घटना पर विचार करें जिसका वर्णन प्रेरित
चरित के 6वें अध्याय के 1 से 4 पदों में किया गया है। इसमें आरंभिक काथलिक कलीसिया
ने 7 व्यक्तियों को चुन लिया ताकि वे रसद वितरण कर सकें। ऐसा निर्णय करने के पूर्व
प्रार्थना और चिन्तन किये गये ताकि ग़रीबों की ज़रूरतों को भी पूरा किया जा सके और प्रेरितों
को पूर्णतः स्वतंत्र कर दिया गया ताकि वे ईशवचन के प्रति समर्पित हो सकें। यहाँ पर
ध्यान देने की बात है कि प्रेरितों ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्रार्थना और सेवा
कार्य दोनों महत्त्वपूर्ण है फिर भी उन्होंने प्रार्थना और सुसमाचार प्रचार के कार्य
को प्राथमिकता दी। प्राचीन काल से ही संतों ने प्रार्थना और कार्य की एकता पर बल
दिया है। विश्वास द्वारा पोषित और ईशवचन द्वारा आलोकित प्रार्थना हमें इस बात के लिये
मदद देता है कि हम दुनियाँ की वस्तुओं को नये तरीके से देखें और जीवन की हर घटनाओं का
प्रत्युत्तर बुद्धिमानी और पवित्र आत्मा की शक्ति दें। हमारे दैनिक जीवन और निर्णय
लेते समय हम प्रार्थना और ईशवचन से आध्यात्मिक शक्ति पायें और जीवन की हर परिस्थिति में
बुद्धिमानी, समझदारी और ईश्वर की इच्छा के प्रति वफ़ादार होकर जीवन जीयें। इतना कहकर
संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। इसके बाद इंगलैंड, फिनलैं स्वीडेन, नाइजीरिया,
इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, भारत और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं
उनके परिवार के सभी सदस्यों पर पुनर्जीवित प्रभु की कृपा तथा शांति की कामना करते हुए
सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।