इस्लामाबादः इस्लाम धर्म में बलात धर्मातरण तथा मुसलमान पुरुषों से बलपूर्वक विवाह के
विरुद्ध उठी आवाज़
इस्लामाबाद, 24 अप्रैल सन् 2012 (एशियान्यूज़): एशियान्यूज़ को प्रेषित एक प्रेस विज्ञप्ति
में पाकिस्तान के "नेशनल कमीशन ऑफॉर जसटिस एण्ड पीस" एन.सी.जे.पी. के काथलिक पुरोहित
फादर इम्मानुएल युसुफ मसीह तथा पीटर जैकब ने पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत का आह्वान किया
है कि वह बलात धर्मान्तरणों के रुकवाये, दुर्व्यवहार के शिकार लोगों को न्याय दिलवाये
तथा देश में मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को लागू करवाये।
विज्ञप्ति में काथलिक
कलीसिया के न्याय एवं शांति आयोग के कार्यकर्त्ताओं ने सर्वोच्च अदालत से यह भी मांग
की है कि वह तीन पीड़ित हिन्दु युवतियों के प्रकरण को फिर से खोले। ग़ौरतलब है कि हिन्दु
युवती रिंकल कुमारी, आशा हालिमा तथा लता को बलपूर्वक मुसलमान बनाकर उनका ब्याह मुसलमान
पुरुषों से कर दिया गया था।
एन.सी.जे.पी. के अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान
का न्यायिक निकाय अन्याय का स्रोत बन गया है क्योंकि स्वेच्छा से दी गई स्वीकृति का सिद्धान्त
केवल यदा कदा लागू किया जाता है तथा इसमें सामाजिक वास्तविकताओं का ध्यान नहीं रखा जाता।
विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया कि केवल उक्त तीन युवतियों के प्रकरण में ही नहीं
अपितु इससे पहले भी अल्पसंख्यक महिलाओं के बलात धर्मान्तरण के प्रकरणों को अदालत ने उम्र
की दलील देकर नज़रअन्दाज़ कर दिया है।
विज्ञप्ति में कहा गया, "पुरुष प्रधान,
हिंसक एवं धर्मान्ध वातावरण में कानून एवं अदालत इस पूर्वधारणा पर काम नहीं कर सकते कि
सशस्त्र एवं निरस्त्र, अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक, पुरुष एवं स्त्रियाँ एक ही समान अपनी
स्वतंत्र इच्छा का उपयोग कर सकते हैं।" कहा गया, "यही कारण है कि एन.सी.जे.पी. चाहती
है कि अदालत उक्त प्रकरण का पुनरावलोकन करे।"