वाटिकन सिटीः स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा का सन्देश
वाटिकन सिटी, 09 अप्रैल सन् 2012 (सेदोक): श्रोताओ, रविवार, 22 अप्रैल को, रोम स्थित
सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों को दर्शन
देकर, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना
का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व उन्होंने भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः
"अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज, पास्का के तीसरे रविवार के दिन के लिये निर्धारित सन्त
लूकस रचित सुसमाचार के अनुसार, हम उन येसु का साक्षात्कार करते हैं जो शिष्यों के समक्ष
स्वतः को प्रकट करते हैं (दे. लूक 24,36)। आशंकित एवं भयभीत शिष्य जिन्होंने समझा कि
वे भूतप्रेत को देख रहे थे (दे. लूक 24,37)। रोमानो ग्वारदीनी लिखते हैं: "प्रभु परिवर्तित
हुए हैं। वे पहले की तरह जीवन यापन नहीं करते। उनका अस्तित्व...... बुद्धि के परे है।
तथापि, शारीरिक है, जिसमें... उनके द्वारा व्यतीत सम्पूर्ण जीवन, पार की गई नियति, उनका
दुखभोग और उनकी मृत्यु, सबकुछ, समाहित है। सब यथार्थ है, असली है। यद्यपि वे परिवर्तित
हैं तथापि, स्पर्शनीय, ठोस एवं सुनिश्चित्त वास्तविकता हैं" (Il Signore, Meditazioni
sulla persona e la vita di N.S. Gesù Cristo, Milano 1949,433)।
सन्त पापा
ने आगे कहा, "चूँकि पुनरुत्थान क्रूसीकरण के चिन्हों को नहीं मिटाता, येसु प्रेरितों
को अपने हाथ और पैर दिखाते हैं। साथ ही उन्हें विश्वास दिलाने के लिये उनसे कुछ खाने
को मांगते हैं। जिसपर "उन्होंने ईसा को भुनी मछली का एक टुकड़ा दिया। उन्होंने उसे लिया
और उनके सामने खाया।" (लूक. 24,42-43)। सन्त ग्रेगरी महान टीका करते हैं कि "आग पर भुनी
हुई मछली का अर्थ और कुछ नहीं बल्कि यह है कि येसु, ईश्वर एवं मनुष्यों के बीच मध्यस्थ
है। सच तो यह है कि मानव रूप धारण कर वे हमारे बीच आये, उन्होंने हमारी मृत्यु के बन्धन
में बँधना स्वीकार किया तथा दुखभोग के समय सहे गये कष्टों की आग में जले"( Hom. In Evang.
XXIV, 5:CCL 141,turnhout 1999,201)।"
सन्त पापा ने आगे कहा, "इन अत्यधिक वास्तविक
चिन्हों के कारण ही, शिष्यों ने आरम्भिक आशंकाओं पर विजय पाई तथा विश्वास का वरदान ग्रहण
करने के लिये तैयार हुए; इसी विश्वास ने उन्हें ख्रीस्त के बारे में लिखी गई बातों को
बुद्धिगम्य करने की क्षमता प्रदान की "मूसा की संहिता में, नबियों में तथा भजनों में"
(लूक 24,44), वस्तुतः, हम पढ़ते हैं कि येसु ने "उनके मन का अन्धकार दूर करते हुए उन्हें
धर्मग्रन्थ का मर्म समझाया और उन से कहा, "ऐसा ही लिखा है कि मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे
दिन मृतकों में से जी उठेंगे और उनके नाम पर येरुसालेम से ले कर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा
के लिए पश्चात्ताप का उपदेश दिया जायेगा। तुम इन बातों के साक्षी हो"(लूक 24, 45-48)।
ईश वचन तथा यूखारिस्त के माध्यम से, मुक्तिदाता, हमारे बीच अपनी यथार्थ उपस्थिति का हमें
आश्वसान देते हैं। अस्तु, जिस प्रकार, एम्माऊस के शिष्यों ने रोटी के तोड़ने में येसु
को पहचाना था (दे. लूक. 24,35), उसी प्रकार हम भी यूखारिस्तीय समारोह में प्रभु का साक्षात्कार
करते हैं। इस सन्दर्भ में सन्त थॉमस अक्वाईनुस सम्झाते हैं कि इस संस्कार में सम्पूर्ण
ख्रीस्त विद्यमान हैं....... क्योंकि ईश्वरत्व ने कभी भी उस शरीर का परित्याग नहीं किया
जिसे उन्होंने धारण किया था" (S.Th.III,q.76,a.1)।
सन्त पापा ने कहा, "प्रिय
मित्रो, पास्का की अवधि में प्रायः कलीसिया बच्चों को प्रथम परमप्रसाद यानि यूखारिस्तीय
संस्कार प्रदान करती है। अस्तु, मैं सभी पल्ली पुरोहितों, अभिभावकों, माता पिताओं तथा
धर्म शिक्षकों का आह्वान करता हूँ कि वे विश्वास के इस महोत्सव के लिये अच्छी तरह तैयारी
करें, महान समारोही भाव में किन्तु मिताहार एवं सादगी के साथ भी। "उचित ही, यह दिन हमारी
स्मृति में उस प्रथम क्षण के सदृश अंकित हो जाता है जिसमें ... हम येसु के साथ वैयक्तिक
साक्षात्कार के महत्व को समझते हैं" (Esort.ap.postsin. Sacramentum caritatis, 19)।
ईश माता मरियम प्रभु के वचन सुनने में तथा यूखारिस्तीय भोज में योग्य रीति से सहभाग ग्रहण
करने में हमारी मदद करें ताकि हम नवीन मानवता के साक्षी बन सकें।"
इतना कहकर सन्त
पापा ने अपना सन्देश समाप्त किया तथा उपस्थित भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द
मना प्रार्थना का पाठ कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
स्वर्ग की
रानी आनन्द मना प्रार्थना के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विभिन्न भाषाओं में तीर्थयात्रियों
को सम्बोधित कर उनके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित कीं। अंग्रेज़ी भाषा में सन्त पापा
ने कहा, "माँ मरियम को अर्पित पास्काई प्रार्थना के लिये आज यहाँ उपस्थित सभी अँग्रेज़ी
भाषा भाषियों का अभिवादन करते मैं अत्यधिक हर्षित हूँ। आज के सुसमाचार में, पुनर्जीवित
प्रभु, अपने दुखभोग तथा मृत्यु का अर्थ समझाकर शिष्यों को आलोक प्रदान करते हैं। वे उन्हें
पश्चातचाप के प्रचार के लिये प्रेषित करते हैं। साहस और आनन्द के साथ, हम भी ख्रीस्त
के यथार्थ साक्षी बन सकें। आप सबपर प्रभु ईश्वर की आशीष बनी रहे।"
विभिन्न भाषाओं
में तीर्थयात्रियों का अभिवादन कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके प्रति हार्दिक
आभार व्यक्त किया तथा सबको शुभ रविवार एवं शुभ सप्ताह की मंगलकामना अर्पित की।