इस्लामाबादः बलात मुसलमान बनाई गई तीन हिन्दु महिलाओं को उनके मुस्लिम पतियों के पास
वापस जाने का मिला आदेश
इस्लामाबाद, 20 अप्रैल सन् 2012 (एशिया न्यूज़): पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने फैसला
दिया है कि फरवरी माह में अपहृत तथा बलपूर्वक मुसलमान पुरुषों से ब्याही गई तीन हिन्दु
युवतियों को उनके मुसलमान पतियों के पास वापस लौटना होगा।
26 मार्च को इन तीन
युवतियों में से एक रिनकल कुमारी ने न्यायधाशों से कहा था कि वे अपने परिवार के पास वापस
जाना चाहती हैं। रिनकल कुमारी ने अदालत के समक्ष कहा था, "इस देश में केवल मुसलमानों
के लिये न्याय है; हिन्दुओं के लिये कोई न्याय नहीं। मुझे इसी अदालत मार डालो किन्तु
मुझे दारुल –अमन कुरानिक स्कूल में वापस मत भेजो। इन सब लोगों की मिली भगत है, ये हमें
मार डालेंगे।"
अन्य दो हिन्दु महिलाओं ने भी इसी प्रकार वापस अपने घर लौटने की
अपील की थी।
हिन्दु कार्यकर्त्ता दिलीप कुमार ने कहा, "यह घोर अन्याय है।" "इन
युवतियों ने अपने घर वापस लौटने की अपील की थी किन्तु न्यायधीशों ने इन्हें बलपूर्वक
बन्दीगृहों में भेजने का फ़ैसला दिया।"
रावलपिन्डी के काथलिक पुरोहित फादर अनवर
पत्रस ने कहा कि अदालत मुसलमान चरमपंथियों के आगे झुक गई तथा हिन्दु युवतियों को न्याय
नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि हिन्दु एवं ख्रीस्तीय युवतियों का अपहरण किया जाता है,
उन्हें मुसलमान बनाया जाता है तथा मुसलमान पुरुषों से उनका ब्याह कर दिया जाता या फिर
उन्हें वेश्या बना दिया जाता है।
उन्होंने ने कहा, "सरकार को धर्मान्तरण के विरुद्ध
कड़े नियम लागू करना चाहिये। यह स्पष्ट है कि युवा महिलाओं पर मुसलमान बनने के लिये दबाव
डाला जाता है।" फादर पत्रस ने कहा कि सर्वोच्च अदालत इन लड़कियों की आखिरी आशा थी किन्तु
अदालत ने भी इन्हें निराश कर दिया है।