2012-04-19 14:52:55

संत पीयुस दसवें समाज की प्रतिक्रया मिश्रित


रोम, इटली, 19 अप्रैल, 2012(सीएनए) संत पीयुस दसवें धर्मसमाज ने वाटिकन द्वारा दिये गये ‘सिद्धांतवादी विश्वास’ के बारे अपनी सहमति जतायी है पर इसके साथ कुछ संशोधन के प्रस्ताव रखे हैं जिसे संत पापा को सौंप दिया गया है।
अब इस परम्परावादी समाज के प्रस्तावों के आधार पर उन्हें काथलिक कलीसिया में पूर्ण रूप से शामिल करने के निर्णय की ज़िम्मेदारी को संत पापा पर छोड़ दी गयी है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच कई दौर के वार्ता जारी हैं ताकि कोई सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
ग़ैरआधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस बात की ख़बर है कि विगत दिनों दोनों पक्षों न अपने प्रयास तेज कर दिये थे ताकि मेलमिलाप संभव हो सके।
आशा की जा रही है कि सप्ताह के अंत तक वाटिकन की ओर से इस संबंध में कोई निर्णय लिये जायेंगे।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर दोनों दल किसी ठोस समझौते पर पहुँचेंगे तो उसके अनुसार संत पीयुस दसवें धर्मसमाज को काथलिक कलीसिया के अंदर ही एक ‘पर्सनल प्रीलेचर’ का दर्ज़ा दिया जायेगा।
इसके अनुसार समाज के सदस्य बिना भौगोलिक सीमा अधिकार क्षेत्र के अपने मेषपालीय क्रिया-कलाप कर सकते हैं। अब तक काथलिक कलीसिया में यह अधिकार सिर्फ़ ‘ऑपुस देई’ को दिया गया है।
विदित हो कि संत पीयुस दसवें धर्मसमाज ने ‘डॉक्टराइनल प्रीआम्बल’ (सिद्धांतवादी प्रस्तावना) को सितंबर सन् 2011 में प्रस्तुत किया था जिसके द्वारा विश्वास संबंधी बातों का स्पष्टीकरण हुआ और मेल-मिलाप का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
जनवरी 2012 में धर्मसमाज ने जो उत्तर भेजा था उससे वाटिकन संतुष्ट नहीं था और इसे स्पष्ट करने के लिये अप्रैल तक की सीमा बढ़ायी थी।
यह भी ज्ञात हो कि वाटिकन और संत पीयुस धर्मसमाज के बीच समस्या उस समय गंभीर हो गयी थी जब धर्मसमाज के संस्थापक महाधर्माध्यक्ष मारसेल लेफवरे ने संत पापा जोन पौल द्वितीय की आज्ञा के विरुद्ध चार धर्माध्यक्षों का अभिषेक कर दिया था।













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