2012-04-18 11:48:04

वाटिकन सिटीः कॉन्सटेनचाईन के मनपरिवर्तन की जयन्ती पर रोम के अकादमी विदों का सम्मेलन


वाटिकन सिटी, 18 अप्रैल सन् 2012 (ज़ेनित): वाटिकन में, बुधवार से, "कॉन्सटेनटाईन महानः यूरोप की जड़ें", शीर्षक से रोम तथा अन्तररराष्ट्रीय अकादमी विदों का चार दिवसीय सम्मेलन आरम्भ हो रहा है।

मिलवियन सेतु संग्राम तथा कॉन्सटेनटाईन के मनपरिवर्तन की 1700 सौवीं जयन्ती के उपलक्ष्य में वाटिकन स्थित ऐतिहिसक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के तत्वाधान में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

ऐतिहिसक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष फादर बेरनार्ड आरदूरा ने उक्त सम्मेलन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया कि यह पहल "महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं जैसे वाटिकन अभिलेखागार, वाटिकन प्रेरितिक पुस्तकालय, इताली नेशनल रिसर्च काऊन्सल, एम्ब्रोसियाई पुस्तकालय तथा मिलान स्थित सेकरेड हार्ट काथलिक विश्वविद्यालय के बीच प्रभावात्मक अकादमिक सहयोग का परिणाम है।"

उन्होंने बताया कि कॉन्सटेनटाईन के मनपरिवर्तन की जयन्ती दो हिस्सों में मनाई जायेगी। पहला हिस्सा है इस समय का सम्मेलन तथा दूसरा समारोह सन् 2013 में मिलान शहर में आयोजित किया गया है।

1,700 वर्ष पूर्व कॉन्सटेनटाईन के मनपरिवर्तन के साथ ही रोमी साम्राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता प्रतिष्ठापित की गई तथा धार्मिक दलों और विशेष रूप से ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर अत्याचार समाप्त हुए। फादर आरदूरा ने बताया कि सम्मेलन में मिलवियन संग्राम के बाद कॉनसटेनटाईन के मनपरिवर्तन, उनके बपतिस्मा तथा ख्रीस्तीयों के प्रति उनके बदले रुख पर अकादमिक विदों में विशद विचार विमर्श किया जयेगा।

फादर आरदूरा ने कहा कि कॉन्सटेनटाईन के मनपरिवर्तन के बाद ख्रीस्तीय धर्म में सुसमाचार प्रचार का युग शुरु हुआ जिसने यूरोप तथा बाल्कन प्रदेशों को, मानव प्रतिष्ठा, मानवाधिकार, धर्म पालन तथा अन्तःकरण की स्वतंत्रता जैसे ख्रीस्तीय मूल्यों का वरदान दिया।








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