नई दिल्ली, 16 अप्रैल, 2012(कैथन्यूज़) परहितमय कार्यों के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति
‘कोर ऊनुम’ के अध्यक्ष कार्डिनल रोबर्ट साराह ने भारत में मिशनरी कार्यों पर ‘धर्मपरिवर्तन’
का आरोप लगाये जाने पर चिन्ता व्यक्त की है। शुक्रवार 13 अप्रैल को अपने विचार व्यक्त
करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कुछ क्षेत्र "अति संवेदनशील" हैं। उन्होंने कहा
कि भारतीय धर्माध्यक्षों की शिकायत है कि देश में किसी भी मिशनरी क्रियाकलाप को धर्मपरिवर्तन
की नज़र से देखा जाता है जिससे खुलकर कार्य करना कठिन हो जाता है। धर्माध्यक्षों ने
बतलाया कि कुछ राज्यों ने धर्मपरिवर्तन निषेध कानुन भी पास करा लिये हैं जिससे कोई भी
ऐसा मिशनरी कार्य ऐसा नहीं रह गया है जिसे वे संदेह की दृष्टि से न देखते हों। कार्डिनल
साराह ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य है कि कैसे धन्य मदर तेरेसा ने इनके बावजूद
भी अपना कार्य पूरा किय? ‘कारितास इंटरनैशनालिस’ के महासचिव मिखाएल रोय ने कहा कि
भारत में विभिन्न स्तर के सत्ताधारी लोग ईसाई मूल्यों को स्वीकार नहीं पाते हैं। उन्होंने
कहा, "जाति प्रथा में लिप्त भारतीय समाज को ख्रीस्तीय परोपकारी कार्य बराबरी का दर्ज़ा
देते हैं विशेष करके स्थानीय स्तर पर और जब निम्न वर्ग को लोग जागने लगते हैं तो इसे
स्वीकारा नहीं जाता है।" उन्होंने बतलाया कि उत्तरी-पूर्वी भारत की सामाजिक स्थिति
भिन्न होने के कारण काथलिक कलीसिया का विस्तार संभव हो पाया। विदित हो कि कार्डिनल
साराह और कारितातिस इंटरनैशनालिस के महासचिव मिखाएल रोय ने ‘कोर ऊनुम’ द्वारा प्रकाशित
एक पुस्तक के विमोचन के पूर्व संयुक्त रूप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कार्डिनल साराह ने कहा कि उनकी इच्छा है कि उनका
संगठन परोपकारीकार्य करने वाले काथलिक के लिये एक कार्यशाला का आयोजन करे ताकि यह उनकी
पहचान और आध्यात्मिकता को नयी उर्जा प्रदान करे। विदित हो ‘कोर ऊनुम’ ने हाल के
वर्षों में एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देशों के लिये कई सेमिनारों का सफल आयोजन
किया है