2012-04-14 08:37:24

प्रेरक मोतीः शीडेम की सन्त लिडवीना (1380-1433)


वाटिकन सिटी 14 अप्रैल सन् 2012
लिडवीना का जन्म हॉलेण्ड के शीडेम नगर के एक श्रमिक परिवार में हुआ था। 16 वर्ष की आयु में स्नो स्केटिंग करते समय लिडवीना की एक पसली में चोट आ गई थी जो कभी ठीक नहीं हो सकी और उन्होंने आजीवन शैया पकड़ ली। इसीलिये लिडवीना को रोगों एवं रोगियों की संरक्षिका घोषित किया गया है। अपने जीवन काल में उन्होंने रोगग्रस्त रहते हुए अपार कष्ट सहा किन्तु प्रभु को अपनी पीड़ा अर्पित करते हुए धैर्यपूर्वक जीवन यापन करती रहीं। प्रार्थना और मनन चिन्तन में वे अपना समय व्यतीत किया करती थी जिसके दौरान कई बार उन्हें दिव्य दर्शन प्राप्त हुए।
अपनी रोगावस्था को प्रभु ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करने वाली शीडेम की लिडवीना का निधन सन् 1433 ई. में हो गया था। सन् 1890 ई. में सन्त पापा लियो 13 वें ने उन्हें सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। शीडेम की सन्त लिडवीना का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाता है।

चिन्तनः प्रभु ईश्वर में अपने विश्वास को सुदृढ़ कर हम अपनी पीड़ओं को उनके सिपुर्द करें।








All the contents on this site are copyrighted ©.