वाटिकन सिटी 10 अप्रैल सन् 2012 माईकिल दे सान्तिस का जन्म स्पेन के कातालोनिया में
सन् 1591 ई. में हुआ था। 12 वर्ष की आयु में माईकिल बारसेलोना आये तथा यहाँ उन्होंने
पवित्र तृत्व को समर्पित त्रिनीटेरियन धर्मसमाजी मठ में प्रवेश की इच्छा व्यक्त की। नवशिष्यालय
में तीन वर्षीय अध्ययन के उपरान्त सन् 1607 ई. में, माईकिल ने ज़ारागोज़ा में मठवासी
जीवन की शपथ ग्रहण की।
त्रिनीटेरियन धर्मसमाज के अनुपानह भिक्षुओं के मिताहारी
एवं अतिसंयमी जीवन शैली से प्रभावित माईकिल ने धर्मसमाज प्रमुखों से अनुमति प्राप्त कर
अनुपनाह भिक्षु जीवन यापन का निर्णय लिया। पहले मैडरिड और उसके बाद आलकाला में माईकिल
ने पौरोहित्य का अध्ययन किया तथा आलकाला में पुरोहित अभिषिक्त हुए। दो बार वे वालादोलिद
के मठाध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। वालादोलिद में ही, सन् 1625 ई. में 35 वर्षीय मठवासी
भिक्षु माईकिल दे सान्तिस का निधन हो गया था।
सतत् प्रार्थना, ध्यान मनन तथा
यूखारिस्त की आराधना में वे कई घण्टे व्यतीत किया करते थे। बताया जाता है कि ख्रीस्तयाग
के दौरान यूखीरिस्तीय प्रार्थना के क्षणों में कई बार वे भाव समाधि में पहुँच जाया करते
थे।
24 मई सन् 1779 ई. को सन्त पापा पियुस षष्टम द्वारा माईकिल दे सान्तिस धन्य
तथा आठ जून सन् 1862 ई. को सन्त पापा पियुस नवम द्वारा सन्त घोषित किये गये थे। सन्त
माईकिल दे सान्तिस का पर्व दस अप्रैल को मनाया जाता है।
चिन्तनः माईकिल
दे सान्तिस के जीवन से प्रेरणा पाकर धर्म के प्रति उदासीन वर्तमान जगत के युवा प्रभु
ईश्वर में आशा की किरण को देखें।