वाटिकन सिटीः स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा का सन्देश
वाटिकन सिटी, 09 अप्रैल सन् 2012 (सेदोक): श्रोताओ, ईस्टर या पास्का महापर्व के दूसरे
दिन यानि सोमवार को कलीसिया पास्क्वेत्ता, आल्लेलूया सोमवार या स्वर्गदूत का सोमवार मनाती
है। इस दिन, रोम के परिसर में कास्टेल गोन्दोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के झरोखे से,
देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों को दर्शन देकर, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त
समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व
उन्होंने भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पास्का
के बाद पड़नेवाला सोमवार अनेक देशों में अवकाश का दिन है, जब लोग प्रकृति की सैर करते
अथवा रिश्तेदारों की भेंट करने निकलते तथा परिवार के साथ हर्ष और उल्लास के भाव में
दिन व्यतीत करते हैं। किन्तु मैं चाहता हूँ कि इस अवकाश दिवस का उद्देश्य सदैव ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों के मनोमस्तिष्क में विद्यमान रहे जो है प्रभु येसु ख्रीस्त का पुनःरुत्थान,
हमारे विश्वास का निर्णायक कारण। वस्तुतः, जैसा कि सन्त पौल कुरिन्थियों को लिखते हैं:
"यदि ख्रीस्त जी नहीं उठे हैं तो हमारा प्रचार कार्य व्यर्थ है और आपका विश्वास करना
भी व्यर्थ" (प्रथम कुरिन्थियों 15,14)। अस्तु, इन दिनों, चारों सुसमाचारों में व्याप्त,
प्रभु येसु के पुनःरुत्थान विषयक पाठों का पुनर्पाठ अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ये ऐसे विवरण
हैं जो भिन्न भिन्न प्रकार शिष्यों के साथ पुनर्जीवित प्रभु के साक्षात्कार का वर्णन
करते हैं, तथा उस चमत्कारी एवं वैभवपूर्ण घटना पर हमें चिन्तन का मौका देते हैं जिसने
इतिहास को रूपन्तरित कर प्रत्येक मानव प्राणी के अस्तित्व को अर्थ प्रदान कर दिया है।"
सन्त पापा ने आगे कहा, "पुनःरुत्थान की घटना का विवरण सुसमाचार लेखकों द्वारा
ज्यों का त्यों नहीं किया गयाः यह एक रहस्य ही बना हुआ है, ऐसा नहीं है कि यह कम वास्तविक
घटना है, किन्तु विछिन्न है, हमारी बुद्धि से परेः यह उस ज़ोरदार चमकती हुई ज्योति के
सदृश है जिसे आँखों से देखा नहीं जा सकता क्योंकि उसकी रोशनी इतनी तेज़ है कि आँखें अन्धी
हो सकती हैं। सुसमाचर के विवरण जबकि साबात अर्थात् विश्राम दिवस के बाद के उषाकाल से
आरम्भ होते हैं। महिलाएँ कब्र पर पहुँची थीं तथा उन्होंने कब्र को खाली पाया था। सन्त
मत्ती ने एक भूकम्प का भी ज़िक्र किया है। साथ ही, एक चमकीले स्वर्गदूत का भी जिसने कब्र
को ढँकनेवाले भारी पत्थर को लुढ़का दिया था तथा उसपर आसन ग्रहण कर लिया था, सन्त मत्ती
रचित सुसमाचार के 28 वें अध्याय के दूसरे पद में हम पढ़ते हैं: "विश्राम दिवस के बाद,
सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, मरियम मग्दलेना और दूसरी मरियम कब्र देखने गई। एकाएक
भारी भूकम्प हुआ। प्रभु का दूत स्वर्ग से उतरा, कब्र के पास आया और पत्थर अलग लुढ़का
कर उस पर बैठ गया।" (दे. मत्ती 28, 2)।
सन्त पापा ने कहा, "स्वर्गदूत से पुनःरुत्थान
का सन्देश पाकर, भय और आनन्द के मिश्रित भावों से परिपूर्ण महिलाएँ शिष्यों को ख़बर सुनाने
दौड़ीं और उसी क्षण उन्होंने येसु का साक्षात्कार किया, वे उनके कदमों में गिर गईं तथा
उनकी आराधना करने लगीं; तब उन्होंने उनसे कहाः "डरो नहीं, जाओ और मेरे भाइयों को यह सन्देश
दो कि वे गलीलिया जायें। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे" (दे. मत्ती 28, 10)। सभी सुसमाचारों
में, पुनर्जीवित येसु के दर्शनों में महिलाओं को महान भूमिका दी गई है, जैसा कि कि दुखभोग
के समय तथा क्रूस पर येसु की मृत्यु के क्षण भी। उस युग में, इसराएल में महिलाओं की गवाही
का कोई आधिकारिक या न्यायिक महत्व नहीं था, परन्तु महिलाओं ने प्रभु के सामीप्य का विलक्षण
अनुभव प्राप्त किया था, ख्रीस्तीय समुदाय के जीवन के लिये यह अनुभव आधारभूत था। ऐसा केवल
आरम्भिक कलीसिया की तीर्थयात्रा के लिये ही नहीं था अपितु आज भी और हर युग में ऐसा ही
है।
प्रभु के साथ सामीप्य के इस विलक्षण सम्बन्ध की आदर्श माँ मरियम हैं, विशेष
रूप से, पास्काई रहस्य में, प्रभु की माता उनके साथ रहीं। अपने पुत्र येसु के पास्का
के रूपान्तरित करनेवाले अनुभव द्वारा कुँवारी मरियम, कलीसिया की भी माता बनती हैं अर्थात्
हर विश्वासी तथा विश्वासियों के सम्पूर्ण समुदाय की माता। उन्हीं की ओर हम, रेजिना चेली
यानि स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना के पाठ से अभिमुख होवें। सम्पूर्ण पास्का काल
के दौरान देवदूत सन्देश की प्रार्थना के स्थान पर इसी प्रार्थना का पाठ किया जायेगा।
पुनर्जीवित ख्रीस्त की जीवित उपस्थिति का अनुभव पाने के लिये, आशा एवं शांति का स्रोत,
मरियम हमारी मदद करें।
इतना कहकर सन्त पापा ने अपना सन्देश समाप्त किया तथा उपस्थित
भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ कर सबको अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया।